नवभारत
टाइम्स: शाहजहांपुर: Thursday,
July 23, 2015.
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद के खुटार में राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप
के बाद भी दो साल पहले सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी अधूरी और
भ्रामक भेजे जाने का मामला सामने आया है। सूचनाओं में 200 से अधिक प्रतियां बिना प्रमाणित दी गई हैं। इनमें कई
ऐसे कागज हैं, जिनसे सूचनाओं का कोई मतलब नहीं है।
आवेदक ने राज्य सूचना आयोग और डीएम को पत्र भेजकर अधूरी और भ्रामक सूचना भेजने
वाले प्रधान और सचिव पर कार्रवाई कर पूर्ण सूचनाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
खुटार के गांव बेला निवासी अमित कुमार शुक्ला ने 25
मार्च, 2013 को खंड विकास अधिकारी को पत्र भेजकर ग्राम निधि, मनरेगा,
पौधरोपण, बैंक खातों के विवरण संबंधी नौ बिंदुओं पर जनसूचना
अधिकारी के तहत सूचना मांगी थी।
समय पर सूचनाएं न मिलने के कारण आवेदक ने राज्य सूचना आयोग की शरण ली। छह माह
बाद सूचना आयोग ने बीडीओ को तलब कर सूचनाएं देने का आदेश दिया। एक माह पूर्व ग्राम
पंचायत सचिव प्रमोद वर्मा द्वारा डाक से बिना दिनांक अंकित किए सूचनाएं भेजी गईं।
अमित ने जब उनकी गहनता से जांच की तो सूचनाएं अधूरी व भ्रामक थीं।
नौ में से कई ऐसे बिंदु थे,
जिनका सूचना में जिक्र तक नहीं
किया गया, बल्कि सूचनाओं के अलग हटकर आवेदक को भ्रमित करने के
लिए ऐसी प्रतियां भी भेजी गईं,
जिनका सूचनाओं से कोई संबंध
नहीं है।
आवेदक ने अब जिलाधिकारी से मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। अमित
ने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो वहउच्च न्यायलय व लोकायुक्त की शरण में जाने
को बाध्य होंगे।