Sunday, September 07, 2014

सहकारी बैंक, सभाएं आरटीआई के दायरे से बाहर

अमर उजाला: हिमाचल प्रदेश: Sunday, 07 September 2014.
हिमाचल प्रदेश के 10 सहकारी बैंकों सहित लगभग 4800 सहकारी सभाएं सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे से बाहर हो गई हैं। यह फैसला राज्य सूचना आयोग की डबल बेंच ने चार अपील का निपटारा करते हुए सुनाया।
राज्य मुख्य सूचना आयुक्त भीम सेन और राज्य सूचना आयुक्त केडी बातिश की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि सहकारी सभाओं का गठन सरकार नहीं करती। इन्हें सरकार से ठोस आर्थिक सहायता भी नहीं मिलती है।
सिविल अपील थालापल्लम सहकारी बैंक लिमिटेड बनाम केरल राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सात अक्तूबर 2013 को फैसला दिया था कि सहकारी सभाएं आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी न होने के कारण इसके दायरे में नहीं आएंगी।
यह बात तब लागू होती है, अगर वे राज्य सरकार की ओर से अपनाई गई हों, नियंत्रित हों या फिर ठोस रूप से वित्तपोषित हों। हालांकि, आयोग ने साथ में यह कहा कि सहकारी सभाओं से संबंधित जानकारी इनसे सीधे लेने के बजाय पंजीयक सहकारी सभाएं से ले सकते हैं, अगर संबंधित सूचना विभाग के पास हो।
ये हैं हिमाचल के 10 सहकारी बैंक;
राज्य सहकारी बैंक, कांगड़ा सहकारी बैंक, जोगिंद्रा सहकारी बैंक, कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक, प्राइमरी एग्रीकल्चर सहकारी बैंक कांगड़ा, बघाट शहरी सहकारी बैंक, शिमला शहरी सहकारी बैंक, परवाणू सहकारी बैंक, चंबा अर्बन बैंक और मंडी अर्बन बैंक।