Dainik Bhaskar: Uttar-Pradesh: Sunday, 24 August 2025.
देवरिया के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा है। विभाग ने ठेकेदारों को किए गए करोड़ों रुपये के भुगतान की जानकारी को गोपनीय बताकर देने से मना कर दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता राघवेन्द्र सिंह राकेश ने 14 जनवरी 2024 को तीन वित्तीय वर्षों का ब्योरा मांगा था। उन्होंने 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में सड़क निर्माण पर खर्च की गई राशि की जानकारी मांगी थी। साथ ही सप्लाई आर्डर, वर्क आर्डर और अतिरिक्त मद के तहत किए गए भुगतान का विवरण भी मांगा था।
विभाग ने समय पर जवाब नहीं दिया। राघवेन्द्र ने राज्य सूचना आयोग में शिकायत की। आयोग ने अधिशासी अभियंता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद 14 अगस्त को विभाग ने केवल सड़कों की संख्या बताई।
विभाग के अनुसार 2019-20 में 186, 2020-21 में 139 और 2021-22 में 187 सड़कों का निर्माण हुआ। लेकिन भुगतान का विवरण और कैशबुक की कॉपी देने से मना कर दिया। एक्सियन अनिल कुमार का कहना है कि इससे विभाग और ठेकेदार की गोपनीयता भंग होगी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सार्वजनिक धन से किए गए कार्य का ब्योरा जनता से छिपाना पारदर्शिता के खिलाफ है। उन्होंने राज्य सूचना आयोग से दोबारा हस्तक्षेप की मांग की है।
देवरिया के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगा है। विभाग ने ठेकेदारों को किए गए करोड़ों रुपये के भुगतान की जानकारी को गोपनीय बताकर देने से मना कर दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता राघवेन्द्र सिंह राकेश ने 14 जनवरी 2024 को तीन वित्तीय वर्षों का ब्योरा मांगा था। उन्होंने 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में सड़क निर्माण पर खर्च की गई राशि की जानकारी मांगी थी। साथ ही सप्लाई आर्डर, वर्क आर्डर और अतिरिक्त मद के तहत किए गए भुगतान का विवरण भी मांगा था।
विभाग ने समय पर जवाब नहीं दिया। राघवेन्द्र ने राज्य सूचना आयोग में शिकायत की। आयोग ने अधिशासी अभियंता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद 14 अगस्त को विभाग ने केवल सड़कों की संख्या बताई।
विभाग के अनुसार 2019-20 में 186, 2020-21 में 139 और 2021-22 में 187 सड़कों का निर्माण हुआ। लेकिन भुगतान का विवरण और कैशबुक की कॉपी देने से मना कर दिया। एक्सियन अनिल कुमार का कहना है कि इससे विभाग और ठेकेदार की गोपनीयता भंग होगी।
आरटीआई कार्यकर्ता ने इस पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सार्वजनिक धन से किए गए कार्य का ब्योरा जनता से छिपाना पारदर्शिता के खिलाफ है। उन्होंने राज्य सूचना आयोग से दोबारा हस्तक्षेप की मांग की है।