Dainik Bhaskar: Bhiwani, 21 July 2025.
भिवानी में डेढ़ सौ करोड़ रुपए की सरकारी जमीन को नियमों के खिलाफ बेचने का मामला सामने आया है। यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) 2005 के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
RTI से मिले दस्तावेजों के मुताबिक, 1972
में हरियाणा सरकार ने अधिसूचना जारी कर जिस जमीन को भिवानी मिल को आवंटित किया था, वह
जमीन 64 कनाल 10 मरला की थी। अब पता चला है कि
इस सरकारी जमीन को तहसील कार्यालय के कुछ अधिकारियों और भूमाफिया की मिलीभगत से
बेच दिया गया।
मामले ने प्रशासनिक तंत्र की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है। जांच की मांग तेज हो गई है।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि संगठन की तरफ से जिला उद्योग केंद्र भिवानी से जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी गई थी। जिसमें मिले जवाब से यह खुलासा हुआ कि भूमाफिया ने तहसील अधिकारियों से मिलीभगत कर 64 कनाल 10 मरला सरकारी भूमि नियमों को ताक पर रखकर बेच डाली।
आरटीआई के जवाब से यह बात भी उजागर हुई कि 2 मार्च 1972 को तत्कालीन राज्यपाल की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार हरियाणा सरकार और मिल मालिकों के बीच समझौता व इकरारनामा किया गया था। जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग विभाग के भी हस्ताक्षर दर्ज किए गए थे।
उसके अनुसार मिल प्रबंधन को काम करने वाले मजदूरों के वेलफेयर जिसमें विद्यालय, खेल मैदान, अस्पताल, रिहायशी मकान निर्माण के लिए 64 कनाल 10 मरला भूमि दी गई थी। इस समझौता के अनुसार अगर मिल बंद होता है या नहीं चलता है तो इस भूमि को बिना सरकार की अनुमति के बेचा नहीं जा सकेगा।
राज्यपाल की अधिसूचना के अनुसार ये भूमि 13 अक्टूबर 1972 को उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने किसानों से अधिगृहीत की गई। आरटीआई में पता चला कि 22 मई 1973 को सरस्वती मिल इस भूमि का मालिक बना दिया था।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और मुख्य सचिव को संगठन ने दी शिकायत
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि मिल की सरकारी भूमि बिक्री मामले में आरटीआई में मिली सूचना के बाद उजागर हुए भ्रष्टाचार मामले में दोषी अधिकारियों व भूमाफियाओं के खिलाफ कानूनी व विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि करीब डेढ़ सौ करोड़ कीमत की सरकारी भूमि नियमों को ताक पर रखकर निजी लोगों ने अपने लाभ के लिए बेच डाली और सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। अधिसूचना जारी कर अधिगृहित की गई भूमि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा पत्र जारी कर रोक लगाए जाने के बाद भी नियम ताक पर रखकर बेची गई है।
इस भूमि को वापस सरकार द्वारा अपने कब्जे में लेने और दोषी अधिकारियों व भूमाफिया पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्य सचिव हरियाणा सरकार, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पंचकूला को दी गई है।
भिवानी में डेढ़ सौ करोड़ रुपए की सरकारी जमीन को नियमों के खिलाफ बेचने का मामला सामने आया है। यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) 2005 के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है।
![]() |
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार आरटीआइ के दस्तावेज दिखाते हुए |
मामले ने प्रशासनिक तंत्र की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है। जांच की मांग तेज हो गई है।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने कहा कि संगठन की तरफ से जिला उद्योग केंद्र भिवानी से जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगी गई थी। जिसमें मिले जवाब से यह खुलासा हुआ कि भूमाफिया ने तहसील अधिकारियों से मिलीभगत कर 64 कनाल 10 मरला सरकारी भूमि नियमों को ताक पर रखकर बेच डाली।
आरटीआई के जवाब से यह बात भी उजागर हुई कि 2 मार्च 1972 को तत्कालीन राज्यपाल की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार हरियाणा सरकार और मिल मालिकों के बीच समझौता व इकरारनामा किया गया था। जिस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग विभाग के भी हस्ताक्षर दर्ज किए गए थे।
उसके अनुसार मिल प्रबंधन को काम करने वाले मजदूरों के वेलफेयर जिसमें विद्यालय, खेल मैदान, अस्पताल, रिहायशी मकान निर्माण के लिए 64 कनाल 10 मरला भूमि दी गई थी। इस समझौता के अनुसार अगर मिल बंद होता है या नहीं चलता है तो इस भूमि को बिना सरकार की अनुमति के बेचा नहीं जा सकेगा।
राज्यपाल की अधिसूचना के अनुसार ये भूमि 13 अक्टूबर 1972 को उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने किसानों से अधिगृहीत की गई। आरटीआई में पता चला कि 22 मई 1973 को सरस्वती मिल इस भूमि का मालिक बना दिया था।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और मुख्य सचिव को संगठन ने दी शिकायत
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि मिल की सरकारी भूमि बिक्री मामले में आरटीआई में मिली सूचना के बाद उजागर हुए भ्रष्टाचार मामले में दोषी अधिकारियों व भूमाफियाओं के खिलाफ कानूनी व विभागीय कार्रवाई की मांग की है।
बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि करीब डेढ़ सौ करोड़ कीमत की सरकारी भूमि नियमों को ताक पर रखकर निजी लोगों ने अपने लाभ के लिए बेच डाली और सरकार को भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। अधिसूचना जारी कर अधिगृहित की गई भूमि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा पत्र जारी कर रोक लगाए जाने के बाद भी नियम ताक पर रखकर बेची गई है।
इस भूमि को वापस सरकार द्वारा अपने कब्जे में लेने और दोषी अधिकारियों व भूमाफिया पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। इस भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्य सचिव हरियाणा सरकार, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग एवं वाणिज्य विभाग, महानिदेशक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पंचकूला को दी गई है।