Khaskhabar: Jaipur: Saturday, June 21, 2025.
राजस्थान में भजनलाल सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति को स्पष्ट करते हुए वन विभाग में बड़ा डंडा चलाया है। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत सामने आई जानकारी ने वन विभाग में मच रहे हड़कंप का खुलासा किया है, जहाँ पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वन विभाग के ही अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार की जांच के घेरे में आ गए हैं। कुल 56 मामलों में 100 से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है, जो विभाग में व्याप्त गंदगी को साफ करने की सरकार की आक्रामक मंशा को दर्शाता है।
जयपुर स्थित मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से प्राप्त आरटीआई की सूचना साफ चीख-चीख कर कह रही है कि अब पुरानी व्यवस्था नहीं चलेगी। लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही के ये आंकड़े किसी को भी चौंका सकते हैं:-
एआईएस-नियम 08 के तहत: 1 प्रकरण (यह मामला सीधे वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ा हो सकता है)
सीसीए नियम 16 के तहत: 24 प्रकरण (ये मामले गंभीर कदाचार से संबंधित होते हैं)
सीसीए नियम 17 के तहत: 31 प्रकरण (ये भी गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं)
यह संख्या दिखाती है कि विभाग केवल छोटे-मोटे मामलों पर नहीं, बल्कि संगठित और गहरे बैठे भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रहा है। यह महज खानापूर्ति नहीं, बल्कि विभाग के भीतर से ही भ्रष्टाचार की जड़ें खोदने की गंभीर कोशिश है।
आरटीआई में यह भी सामने आया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 4 जून, 2025 को एक क्षेत्रीय वन अधिकारी को गिरफ्तार किया था। वन विभाग ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि ACB को सीधे रिश्वत मांगने या परिवाद के रूप में शिकायतें मिलती हैं – लेकिन यह गिरफ्तारी खुद बता रही है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है।
सबसे चौंकाने वाला मामला पूर्वी राजस्थान के एक वन मंडल से जुड़ा है, जहाँ उप वन संरक्षक की रेंज राजगढ़ में 11 कार्यस्थलों से संबंधित अग्रिम मृदा (मिट्टी) कार्य और 7 ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबंध समितियों के मूल्यांकन प्रतिवेदनों में गंभीर कमियां पाई गई हैं। यह सिर्फ कागजी अनियमितताएं नहीं, बल्कि जनता के पैसे की खुली लूट और पर्यावरण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं। इस मामले में समिति के पदाधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई विचाराधीन है – जिसका मतलब है कि और भी बड़े नाम जल्द ही सामने आ सकते हैं।
भजनलाल सरकार की यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है: भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चल रही जांच से निश्चित तौर पर विभाग में हड़कंप मचेगा। यह कदम न केवल विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि आम जनता के उस भरोसे को भी बहाल करेगा, जो अक्सर सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के कारण टूट जाता है। अब देखना यह है कि यह 'सर्जिकल स्ट्राइक' कितनी गहराई तक जाती है और कब तक यह भ्रष्टाचार के नासूर को पूरी तरह से खत्म कर पाती है।
राजस्थान में भजनलाल सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' नीति को स्पष्ट करते हुए वन विभाग में बड़ा डंडा चलाया है। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के तहत सामने आई जानकारी ने वन विभाग में मच रहे हड़कंप का खुलासा किया है, जहाँ पहली बार इतनी बड़ी संख्या में वन विभाग के ही अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्टाचार की जांच के घेरे में आ गए हैं। कुल 56 मामलों में 100 से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही है, जो विभाग में व्याप्त गंदगी को साफ करने की सरकार की आक्रामक मंशा को दर्शाता है।
जयपुर स्थित मुख्य वन संरक्षक कार्यालय से प्राप्त आरटीआई की सूचना साफ चीख-चीख कर कह रही है कि अब पुरानी व्यवस्था नहीं चलेगी। लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही के ये आंकड़े किसी को भी चौंका सकते हैं:-
एआईएस-नियम 08 के तहत: 1 प्रकरण (यह मामला सीधे वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ा हो सकता है)
सीसीए नियम 16 के तहत: 24 प्रकरण (ये मामले गंभीर कदाचार से संबंधित होते हैं)
सीसीए नियम 17 के तहत: 31 प्रकरण (ये भी गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं)
यह संख्या दिखाती है कि विभाग केवल छोटे-मोटे मामलों पर नहीं, बल्कि संगठित और गहरे बैठे भ्रष्टाचार पर प्रहार कर रहा है। यह महज खानापूर्ति नहीं, बल्कि विभाग के भीतर से ही भ्रष्टाचार की जड़ें खोदने की गंभीर कोशिश है।
आरटीआई में यह भी सामने आया कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 4 जून, 2025 को एक क्षेत्रीय वन अधिकारी को गिरफ्तार किया था। वन विभाग ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि ACB को सीधे रिश्वत मांगने या परिवाद के रूप में शिकायतें मिलती हैं – लेकिन यह गिरफ्तारी खुद बता रही है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार किस हद तक फैला हुआ है।
सबसे चौंकाने वाला मामला पूर्वी राजस्थान के एक वन मंडल से जुड़ा है, जहाँ उप वन संरक्षक की रेंज राजगढ़ में 11 कार्यस्थलों से संबंधित अग्रिम मृदा (मिट्टी) कार्य और 7 ग्राम वन सुरक्षा एवं प्रबंध समितियों के मूल्यांकन प्रतिवेदनों में गंभीर कमियां पाई गई हैं। यह सिर्फ कागजी अनियमितताएं नहीं, बल्कि जनता के पैसे की खुली लूट और पर्यावरण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती हैं। इस मामले में समिति के पदाधिकारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई विचाराधीन है – जिसका मतलब है कि और भी बड़े नाम जल्द ही सामने आ सकते हैं।
भजनलाल सरकार की यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है: भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ चल रही जांच से निश्चित तौर पर विभाग में हड़कंप मचेगा। यह कदम न केवल विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएगा, बल्कि आम जनता के उस भरोसे को भी बहाल करेगा, जो अक्सर सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के कारण टूट जाता है। अब देखना यह है कि यह 'सर्जिकल स्ट्राइक' कितनी गहराई तक जाती है और कब तक यह भ्रष्टाचार के नासूर को पूरी तरह से खत्म कर पाती है।