Sunday, August 09, 2015

व्यापमं: RTI के जरिए OMR शीट निकालकर काले कर देते थे गोले

दैनिक भास्कर: भोपाल: Sunday, 09 August 2015.
मेडिकल प्रवेश परीक्षा और सरकारी नौकरी के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के दुरुपयोग की बात सामने आई है। घोटाले में शामिल लोग आरटीआई के तहत जमा की गई ब्लैंक ऑप्टिकल मार्क रीडर (ओएमआर)  शीट को निकलवा लेते थे और उनमें सही उत्तर भरकर कर वापस जमा करा देते थे। गांधीनगर स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री की जांच में यह खुलासे हुए हैं। व्यापमं घोटाले की जांच से जुड़े अधिकारियों ने दैनिक भास्कर को बताया किलेबोरेट्री के एक्सपर्ट तब हैरान रह गए जब जब जांच करने पर उन्हें पता चला कि सैकड़ों ओएमआर शीट्स परीक्षा परिणाम आने के बाद स्कैन की गई हैं।
2009 के पहले यह गिरोह पेपर लीक करवाता था। परीक्षा के पहले बाकायदा प्रश्न पत्र हल करवाए जाते थे। जब यह गड़बड़ियां पकड़ में आने लगी तो उन्होंने अपने तौर-तरीके भी बदल लिए। परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन हुआ तो उन्होंने भी आईटी का उपयोग करते हुए सीधे छात्रों को पास करवाने लगे। आईटी का उपयोग करने से घोटालेबाजों को ज्यादा फायदा पहुंचने लगा।
ऐसे होता था अधिकार का दुरुपयोग
रिजल्ट घोषित होने के बाद जिन परीक्षार्थियों के नंबर बढ़ाए जाने होते थे, उनके नाम से आरटीआई लगाई जाती थीं। ओएमआर शीट चैक करने के बहाने पहले से खाली छोड़े गोले काले कर दिए जाते थे। इसके बाद शीट को वापस जमा कर दिया जाता था।
700 छात्रों को रोल नंबर बदल गए
प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) पास कराने का ठेका लेने वाला गिरोह परीक्षार्थियों के रोल नंबर बदलवा देता था। एसटीएफ द्वारा हाईकोर्ट में हाल ही में पेश किए दस्तावेजों से पता चलता है कि 2012 में हुई पीएमटी में लगभग 40 हजार छात्र शामिल हुए, जिनमें से 700 छात्रों  के रोल नंबर बदले गए थे। 28 जनवरी 2014 को दाखिल किए गए दस्तावेजों के अनुसार, एसटीएफ की जांच में व्यापम के अधिकारियों द्वारा 700 अभ्यार्थियों का रोल नंबर अनुचित तरीके से बदलने की जानकारी सामने आई है।
संविदा वर्ग-3 में भी हुई थी धांधली
संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 वर्ष 2011 की परीक्षा में भी आरटीआई के जरिए ओएमआर शीट निकलवाकर धांधली की गई थी। एसटीएफ ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को आरोपी बनाया था। अभी वह जेल में हैं। देश के इतिहास में एक समय में आयोजित यह पहली सबसे बड़ी परीक्षा थी। इसमें 13 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इसमें 7300 आॅब्जर्वर नियुक्त किए गए थे।