Thursday, July 23, 2015

आरटीआई बना हथियार, बुगुर्ग को मिली पेंशन

नवभारत टाइम्स: लखनऊ: Thursday, July 23, 2015.
राज्य सूचना आयोग के हस्तक्षेप से शिक्षा विभाग द्वारा बिना कारण बताए 32 महीने पहले रोकी गई बुजुर्ग की पारिवारिक पेंशन उसे मिलने लगी। इतना ही नहीं आयोग की सख्ती से डरे विभाग ने आनन-फानन में पिछले 32 महीनों की बकाया पेंशन भी जारी कर दी।
यह था मामला:
मामला सहारनपुर का है। यहां बेलड़ा गांव निवासी अब्दुल गफूर प्राथमिक विद्यालय खान आलमपुरा में सहायक अध्यापक थे। नौकरी के दौरान 21 नवंबर 91 को उनका निधन हो गया। जिसके बाद उनकी पत्नी कनीज बेगम को पारिवारिक पेंशन मिलने लगी, लेकिन नवंबर 2012 में अचानक शिक्षा विभाग ने पेंशन रोक दी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कनीज बेगम ने पेंशन के लिए ब्लाक से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के यहां चक्कर लगाए लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।
सूचना मांगी तो कार्रवाई
अगस्त 2014 को कमीज बेगम ने आरटीआई एक्ट के तहत सहारनपुर बीएसए से पेंशन रोके जाने का कारण और जिम्मेदार अफसरों के बारे में सूचना मांगी। वहां से सूचना नहीं मिली तो राज्य सूचना आयोग में अपील की। सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान जब जिम्मेदार अधिकारियों के आयोग में तलब किया और सूचना न देने पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी, तो अधिकारी हरकत में आए। सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने बताया कि 16 जुलाई को सुनवाई के दौरान खंड विकास अधिकारी सहारनपुर में आयोग में उपस्थित होकर जानकारी दी कि कमीज बेगम द्वारा मांगी गई सूचनाएं उन्हें दे दी गई हैं। साथ ही उन्हें पारिवारिक पेंशन मिलने शुरू हो गई है। नवंबर 12 से जून 15 के बीच की पेंशन का 3,19,524 रुपया कनीज बेगम के खाते में जमा करवा दिया गया है।