दैनिक जागरण: फैजाबाद: Saturday, April 12, 2014.
विकास
भवन में जिला विकास अधिकारी अभिराम त्रिवेदी जन सूचना अधिकारी, लेकिन विकास भवन में जन सूचना अधिकारी का बोर्ड
ढूंढते रह जाएंगे। अब जरा दूसरा उदाहरण भी देखिए। विद्युत वितरण खंड प्रथम में जन
सूचना अधिकारी हैं तो अधिशाषी अभियंता राजस्व अशोक कुमार। उनका कार्यालय फेसू में
हैं, लेकिन फेसू में जन सूचना
अधिकारी का बोर्ड ढूंढ़ते रह जाएंगे।
बेसिक
शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जनसूचना अधिकारी ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव हैं, लेकिन यहां भी जन सूचना अधिकारी का बोर्ड व पता
ढूंढ़ते रह जाएंगे। शिक्षा विभाग ऐसा मिला,
जहां संयुक्त शिक्षा
निदेशक कार्यालय में जनसूचना अधिकारी और सहायक जनसूचना अधिकारी का बोर्ड नजर आ
गया। इसके अलावा तमाम ऐसे विभाग हैं,
जहां जन सूचना अधिकारी
का बोर्ड व पता जानने में ही घंटों बीत जाएंगे, जबकि
हर विभाग में जन सूचना अधिकारी का बोर्ड लगाना अनिवार्य है। ऐसी दशा में आरटीआइ के
आवेदनकर्ताओं को अधिकारी तक पहुंचने के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है। आरटीआइ
कार्यकर्ता भी इस पर सवाल खड़ा करते हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता धनुषजी श्रीवास्तव का
कहना है कि बोर्ड नहीं लगा होने से अधिकारियों से वार्ता ही नहीं हो पाती और आवेदन
करने में भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश शुक्ला
का कहना है कि अधिकारी अपना पीछा छुड़ाने की नीयत से ही बोर्ड तक लगाना गंवारा नहीं
समझते। ऐसे में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए।