Sunday, August 04, 2013

दलों के वित्तीय मामले आरटीआइ के दायरे में आएं: अरुणा राय

दैनिक जागरण: जयपुर: Sunday, August 04, 2013.
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने राजनीतिक दलों को आरटीआइ एक्ट से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के वित्तीय मामले सूचना अधिकार कानून के दायरे में आने चाहिए। राय ने शनिवार को जयपुर में सूचना अधिकार मंच की ओर से हुई प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जनता को यह जानने का हक है कि राजनीतिक दल किसी भी काम में कितना पैसा खर्च करते हैं। उनकी विचारधारा क्या है, वे किस रूप में काम करते हैं, इस बाबत वे अपनी बात अपने तक रख सकते हैं।
अरुणा राय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपनी बात छिपाने के मामले में सभी दल एकमत हो गए। जब सूचना का अधिकार कानून लाया जा रहा था तो कहा गया था कि इसमें कोई भी संशोधन बिना आमजन की राय, सुझाव के नहीं किया जाएगा, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी से कोई बातचीत नहीं की गई और फैसला कर लिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि यह मामला कुछ ऐसे ही है जैसे खुद ही आरोपी, खुद ही पैरवी करने वाले, खुद ही जज और अपने ही पक्ष में फैसला भी। फिर कैसा निर्णय? हमारा लोकतंत्र पैसों की बलि चढ़ गया है। राजनीतिक दल पैसों के लेनदेन के बारे में बताना नहीं चाहते। सूचना का अधिकार मंच की ओर से इस निर्णय के खिलाफ पांच अगस्त को जयपुर में प्रदर्शन किया जाएगा। दिल्ली में 6 अगस्त को जनमंच का आयोजन किया जाएगा।