Tuesday, May 07, 2013

जब मांगी भ्रष्टाचार की सूचना तो मिली जान से मांगने की धमकी.

दैनिक भास्कर: जोधपुर: Tuesday, May 07, 2013.
सरकारी विभागों से सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगने वाले जोधपुर के तीन आरटीआई कार्यकर्ताओं को जान का खतरा है। इन कार्यकर्ताओं ने ग्राम पंचायत से पुलिस, जेडीए, नगर निगम और संसद तक तीन सौ से दो हजार तक आरटीआई से जानकारी हासिल कर सरकारी विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार उजागर किए हैं।
इन्होंने राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार की है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सरकार ने जिला प्रशासन व पुलिस कमिश्नर को इस मामले की जांच कर आरटीआई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। मिली जानकारी के अनुसार गत 13 जनवरी को आरटीआई के तहत आवेदन देने वाली जागृति संस्थान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में सरदारपुरा तीसरी ए रोड निवासी नंदलाल व्यास, कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड 2 सेक्टर निवासी शिक्षा विभाग के पूर्व उप निदेशक चतर सिंह मेहता, केके कॉलोनी निवासी जयप्रकाश कुमावत ने अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा मांगी है। 
आवेदक को पहले लालच फिर धमकी का आरोप :
आरटीआई कार्यकर्ता नंदलाल व्यास ने बताया कि उन्होंने जेडीए, डिस्कॉम, बीएसएनएल के अलावा सर्वाधिक जानकारी पुलिस विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ मांगी है। उन्होंने अब तक दो हजार से अधिक आरटीआई के तहत आवेदन किए हैं। व्यास ने बताया कि आरटीआई के तहत आवेदन पेश करते ही सबसे पहले संबंधित व्यक्ति लालच देने आते हैं। फिर परिचित आते हैं और ऐसे मामले से दूर रहने की सलाह देते हैं।
पिछले साल रोटरी चौराहा रोड पर स्कूटर पर जाते समय एक ऑटो चालक उन्हें पीछे से टक्कर मारकर भाग गया। शिक्षा विभाग के पूर्व उप निदेशक चतर सिंह मेहता शिक्षा, जेडीए, पुलिस, सहित अन्य विभागों में अब तक तीन सौ आरटीआई के तहत आवेदन कर चुके है।
अब तक 274 आरटीआई लगाने वाले जयप्रकाश कुमावत ने वर्ष 2009 में जोजरी नदी में फर्जीवाड़े से कटने वाली प्राइवेट कॉलोनी के खिलाफ सूचना मांगी। इसमें भ्रष्टाचार उजागर हो गया। कुमावत द्वारा इसकी जानकारी तत्कालीन जेडीए आयुक्त गौरव गोयल को देने पर उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी। इस कार्रवाई से सैकड़ों लोगों का करोड़ों रुपए का नुकसान बच गया और भू-माफिया को भागना पड़ा।  
जांच चल रही है : कमिश्नर
इस संबंध में पुलिस कमिश्नर भूपेंद्र कुमार दक ने बताया कि मुख्यालय से आरटीआई कार्यकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश मिले हैं। इस मामले में फिलहाल जांच चल रही है।
देश में अब तक 16 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या :
वर्ष 2005 में लागू हुए सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के बाद सरकारी विभागों में होने वाले घोटाले उजागर हो रहे हैं। अधिनियम लागू होने के बाद गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में 16 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। दर्जनों को धमकियां मिल रही हैं। प्रदेश में अजमेर व डेढ़ माह पूर्व बाड़मेर में एक कार्यकर्ता को आरटीआई के तहत आवेदन करने पर कुछ लोगों ने हमला कर घायल कर दिया।
जोधपुर के आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा सुरक्षा की गुहार करने पर गत एक अप्रैल को प्रशासनिक सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीएम मीणा ने पुलिस महानिदेशक, संभागीय आयुक्त, कलेक्टर, पुलिस आयुक्त व पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा।
पत्र में कहा गया कि नागरिकों द्वारा आरटीआई के तहत जानकारी मांगने पर भ्रष्टाचार व दुर्भावनापूर्ण निर्णय उजागर हो रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा हानि पहुंचाने की धमकियां दी जा रही हैं। इस अधिकार का उपयोग करने वाले कार्यकर्ता को किसी प्रकार की हानि पहुंचाने व धमकी देने का मामला सामने आने पर गंभीरता से मामले की जांच की जाए।