Sunday, August 10, 2025

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून में नहीं हुआ कोई बदलाव, सरकार ने क्यों किया इनकार.

Hindi:Gizbot.com: Anikta Pandey: Sunday, August 10, 2025.
सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट, 2023 में किसी भी तरह का संशोधन नहीं किया जाएगा। शुक्रवार को एक सरकारी सूत्र ने बताया कि पत्रकारों और सिविल सोसाइटी संगठनों द्वारा उठाई गई चिंताओं के मद्देनजर सरकार जल्द ही विस्तृत जवाब जारी करेगी।
पत्रकारों और नागरिक संगठनों की चिंताएं
बुधवार को पत्रकार संगठनों और नागरिक अधिकार समूहों ने चिंता जताई कि DPDP एक्ट के प्रावधान सूचना का अधिकार (RTI) कानून को कमजोर कर सकते हैं और प्रेस की स्वतंत्रता पर असर डाल सकते हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए संशोधन की समीक्षा और निरस्ती की मांग की। उनका कहना है कि RTI कानून से वह प्रावधान हटाना, जिसमें नागरिकों के सूचना पाने के अधिकार को विधायकों के बराबर माना गया था, "पूरी तरह अनुचित" है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जवाब में कहा कि विभिन्न कानूनों के तहत सार्वजनिक रूप से साझा की जाने वाली व्यक्तिगत जानकारी, नए डेटा प्रोटेक्शन नियम लागू होने के बाद भी RTI कानून के तहत मिलती रहेगी।
'व्यक्तिगत जानकारी' के नाम पर सूचना रोके जाने का डर
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण का आरोप है कि DPDP एक्ट, RTI कानून में ऐसा संशोधन करता है जिससे बिना सहमति के व्यक्तिगत पहचान वाली जानकारी साझा नहीं की जा सकेगी। नागरिक अधिकार संगठनों का मानना है कि यह कानून RTI को खत्म कर देगा और पत्रकारों व व्हिसलब्लोअर्स को भ्रष्ट अधिकारियों के नाम उजागर करने से रोक देगा। उनका कहना है कि सरकारी संस्थाएं "व्यक्तिगत जानकारी" का हवाला देकर आसानी से सूचना देने से बच सकती हैं। पूर्व हाई कोर्ट जज ए. पी. शाह ने अटॉर्नी जनरल को खुले पत्र में लिखा कि DPDP एक्ट की धारा 44(3) ने RTI में मौजूद "संकीर्ण छूट" को हटा कर "व्यापक प्रावधान" जोड़ दिया है, जिससे सूचना सार्वजनिक हित में देने का अधिकार भी समाप्त हो गया है।
पत्रकारों के लिए विशेष छूट की कमी
राष्ट्रीय अभियान फॉर पीपल्स राइट टू इन्फॉर्मेशन (NCPRI) की सह-संयोजक अंजलि भारद्वाज ने कहा कि एक्ट में पत्रकारों के लिए विशेष छूट का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि पिछले ड्राफ्ट में यह शामिल था। उन्होंने मांग की कि नियमों में पत्रकारों को छूट दी जाए, अन्यथा प्रेस की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी। उनका कहना है कि एक्ट सरकार को डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड पर अत्यधिक नियंत्रण देता है, जो 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की उपाध्यक्ष संगीता बरूआ पिशारोटी ने बताया कि पत्रकार संगठनों ने 1,000 से अधिक पत्रकारों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को सौंपा है। "हमने सरकार से संशोधन कर वह लाइन जोड़ने की मांग की है क्योंकि यह सीधे हमारे काम को प्रभावित करेगा। पिशारोटी ने यह भी जोड़ा कि अगर मंत्रालय ने मांग नहीं मानी, तो वे कानूनी कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
सरकार का रुख और बैकग्राउंड सरकारी सूत्रों के मुताबिक, DPDP एक्ट और इसके मसौदा नियम हजारों सुझावों के बाद तैयार किए गए हैं। एक्ट को संसद ने पारित किया है, इसलिए इसमें संशोधन अब संभव नहीं है। फिलहाल नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है और उन्हें कानून के दायरे में रहकर ही तैयार किया जा सकता है। सरकार जल्द ही एक FAQ डॉक्यूमेंट भी जारी करेगी ताकि लोगों की शंकाओं का समाधान हो सके।
क्या है DPDP एक्ट, 2023
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 एक व्यापक कानून है, जिसका उद्देश्य डिजिटल पर्सनल डेटा के प्रसंस्करण को नियंत्रित करना है। इसके मसौदा नियमों पर सार्वजनिक परामर्श के दौरान 6,900 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। इसके बावजूद, नागरिक अधिकार संगठनों का मानना है कि सरकार नए कानून का दुरुपयोग करके मीडिया को निशाना बना सकती है।