Amar Ujala: New Delhi: Thursday, 17 July 2025.
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 14 साल पहले कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से केवल 1.15 करोड़ आधार नंबरों को निष्क्रिय किया है, यह आंकड़ा देश की मृत्यु दर को देखते हुए नाटकीय रूप से काफी कम है। एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन से इस बात की पुष्टि हुई है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
देश में हर साल औसतन 83 लाख
लोगों की मौतें हो रही हैं। दूसरी ओर, भारतीय विशिष्ट पहचान
प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 14 साल पहले कार्यक्रम की शुरुआत
के बाद से केवल 1.15 करोड़ आधार नंबरों को निष्क्रिय किया है। यह आंकड़ा
देश की मृत्यु दर को देखते हुए नाटकीय रूप से काफी कम है। एक मीडिया हाउस की ओर से
दायर सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन से इस बात की पुष्टि हुई है।
जून 2025 तक, भारत में 142.39 करोड़ आधार धारक है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, अप्रैल 2025 तक देश की कुल जनसंख्या 146.39 करोड़ हो जाएगी। दूसरी ओर, नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 2007 से 2019 के बीच हर साल औसतन 83.5 लाख मौतें हुईं।
इसके बावजूद, यूआईडीएआई की ओर से मृत लोगों आधार नंबर को निष्क्रिय करने स्पीड आश्चर्यजनक रूप से कम है। कुल अनुमानित मौतों में से 10 प्रतिशत से भी कम मामलों में आधार नंबर को निष्क्रिय किया गया है। अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि आधार नंबर को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जटिल है और काफी हद तक राज्य सरकारों की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार के सदस्यों की ओर से दी गई जानकारी जैसे बाहरी आंकड़ों पर निर्भर करती है।
यूआईडीएआई यह भी बताया है कि वह आधार के निष्क्रिय होने या जो लोग मृत हो चुके हैं, उसके बाद भी उनके आधार कार्ड सिस्टम में सक्रिय हैं, ऐसा कोई डेटा अपने पास नहीं रखता है। इस खुलासे लोगों लोगों की मौत के बाद उनके सक्रिय आधार नंबर के दुरुपयोग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह एक ऐसी ऐसी खामी है जो सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और अन्य पहचान-संबंधी सेवाओं को प्रभावित कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बेमेल स्थिति ने लोगो की मृत्यु मृत्यु रजिस्ट्री और आधार डेटाबेस के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि दोहराव, पहचान की धोखाधड़ी और कल्याणकारी योजनाओं के वितरण में लीकेज को रोका जा सके।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने 14 साल पहले कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से केवल 1.15 करोड़ आधार नंबरों को निष्क्रिय किया है, यह आंकड़ा देश की मृत्यु दर को देखते हुए नाटकीय रूप से काफी कम है। एक सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन से इस बात की पुष्टि हुई है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
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आधार कार्ड - फोटो : istock |
जून 2025 तक, भारत में 142.39 करोड़ आधार धारक है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार, अप्रैल 2025 तक देश की कुल जनसंख्या 146.39 करोड़ हो जाएगी। दूसरी ओर, नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 2007 से 2019 के बीच हर साल औसतन 83.5 लाख मौतें हुईं।
इसके बावजूद, यूआईडीएआई की ओर से मृत लोगों आधार नंबर को निष्क्रिय करने स्पीड आश्चर्यजनक रूप से कम है। कुल अनुमानित मौतों में से 10 प्रतिशत से भी कम मामलों में आधार नंबर को निष्क्रिय किया गया है। अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि आधार नंबर को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया जटिल है और काफी हद तक राज्य सरकारों की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार के सदस्यों की ओर से दी गई जानकारी जैसे बाहरी आंकड़ों पर निर्भर करती है।
यूआईडीएआई यह भी बताया है कि वह आधार के निष्क्रिय होने या जो लोग मृत हो चुके हैं, उसके बाद भी उनके आधार कार्ड सिस्टम में सक्रिय हैं, ऐसा कोई डेटा अपने पास नहीं रखता है। इस खुलासे लोगों लोगों की मौत के बाद उनके सक्रिय आधार नंबर के दुरुपयोग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह एक ऐसी ऐसी खामी है जो सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और अन्य पहचान-संबंधी सेवाओं को प्रभावित कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बेमेल स्थिति ने लोगो की मृत्यु मृत्यु रजिस्ट्री और आधार डेटाबेस के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि दोहराव, पहचान की धोखाधड़ी और कल्याणकारी योजनाओं के वितरण में लीकेज को रोका जा सके।