Thursday, July 10, 2025

RTI: अनुसूचित जनजाति आयोग ने ग्रेट निकोबार परियोजना पर रोकी आरटीआई; संसदीय विशेषाधिकार उल्लंघन का हवाला दिया

Amar Ujala: New Delhi: Thursday, 10 July 2025.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने ग्रेट निकोबार परियोजना पर एक आरटीआई का जवाब देने से इनकार कर दिया है। इसके लिए आयोग ने ने संसदीय विशेषाधिकार और अन्य कानूनी छूट का हवाला दिया है। आयोग ने कहा कि ऐसा करना संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन होगा।
गौरतलब है कि पीटीआई के संवाददाता ने आरटीआई में ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा बुनियादी ढांचा परियोजना के आदिम जनजातीय समूहों और बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों से गांवों के स्थानांतरण पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी मांगी गई थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई के संवाददाता ने इस वर्ष 3 अप्रैल को एक आरटीआई आवेदन दायर किया था। इसमें ग्रेट निकोबार द्वीप पर प्रस्तावित मेगा बुनियादी ढांचा परियोजना को लेकर 1 जनवरी, 2022 से आयोजित सभी आयोग की बैठकों की जानकारी,  ग्रेट निकोबार द्वीप विकास परियोजना और शोम्पेन जैसे विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) पर इसके प्रभाव के संबंध में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ वार्ता और बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों से गांवों को स्थानांतरित करने के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के निर्देश के संबंध में जानकारी मांगी गई थी।
क्या है ग्रेट निकोबार परियोजना
ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट की शुरुआत नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2021 में की थी। इस मेगा प्रोजेक्ट को अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों के आखिरी छोर तक बनाया जाना है। इसके तहत मालवाहक जहाजों के लिए बंदरगाह, एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट, स्मार्ट सिटी और 450 मेगावॉट की गैस और सौर बिजली परियोजना को स्थापित किया जाएगा। केंद्र सरकार का ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट 72,000 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। ग्रेट निकोबार द्वीप भारत की मुख्य जमीन से करीब 1,800 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है। यह बंगाल की खाड़ी में 910 वर्ग किमी के हिस्से में बन रहा है। इस द्वीप पर इंदिरा पॉइंट भी है, जो इंडोनेशिया के सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा से महज 170 किमी दूर है। हिंद महासागर में भारत के दबदबे के लिहाज से यह परियोजना बेहद अहम है।