Johar LIVE: Jharkhand: Friday, 30 May 2025.
झारखंड सरकार द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किए गए RTI ऑनलाइन पोर्टल पर 37 लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए, लेकिन अब तक केवल 37 विभाग ही इससे जुड़ पाए हैं। यह खुलासा एक RTI आवेदन के जरिए हुआ है।
गिरिडीह निवासी सुरेंद्र पांडेय ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत पोर्टल की तैयारी, खर्च और संचालन से जुड़ी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में सूचना एवं ई-गवर्नेंस विभाग ने बताया कि पोर्टल के विकास पर ₹37,14,600 खर्च किए गए हैं। यह जानकारी जैप-आईटी ने दी है।
RTI के जवाब से यह भी पता चला कि पोर्टल के प्रचार-प्रसार और संचालन को लेकर संबंधित विभागों को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अपेक्षित जवाब नहीं मिला। कई विभागों को रिमाइंडर भी भेजे गए, फिर भी अधिकांश विभाग अब तक पोर्टल से नहीं जुड़े हैं।
अब तक केवल 37 लोक प्राधिकरण ही पोर्टल पर सक्रिय हो पाए हैं। जब विभागों से पूछा गया कि क्या इस संबंध में कोई आदेश जारी किया गया है, तो उसका भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया।
सुरेंद्र पांडेय का कहना है कि यह RTI राज्य सरकार के डिजिटल पारदर्शिता के दावों की हकीकत उजागर करती है। करोड़ों के बजट और योजनाओं के बावजूद इतनी कम प्रगति चिंता का विषय है।
झारखंड सरकार द्वारा पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किए गए RTI ऑनलाइन पोर्टल पर 37 लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए, लेकिन अब तक केवल 37 विभाग ही इससे जुड़ पाए हैं। यह खुलासा एक RTI आवेदन के जरिए हुआ है।
गिरिडीह निवासी सुरेंद्र पांडेय ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत पोर्टल की तैयारी, खर्च और संचालन से जुड़ी जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में सूचना एवं ई-गवर्नेंस विभाग ने बताया कि पोर्टल के विकास पर ₹37,14,600 खर्च किए गए हैं। यह जानकारी जैप-आईटी ने दी है।
RTI के जवाब से यह भी पता चला कि पोर्टल के प्रचार-प्रसार और संचालन को लेकर संबंधित विभागों को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अपेक्षित जवाब नहीं मिला। कई विभागों को रिमाइंडर भी भेजे गए, फिर भी अधिकांश विभाग अब तक पोर्टल से नहीं जुड़े हैं।
अब तक केवल 37 लोक प्राधिकरण ही पोर्टल पर सक्रिय हो पाए हैं। जब विभागों से पूछा गया कि क्या इस संबंध में कोई आदेश जारी किया गया है, तो उसका भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया।
सुरेंद्र पांडेय का कहना है कि यह RTI राज्य सरकार के डिजिटल पारदर्शिता के दावों की हकीकत उजागर करती है। करोड़ों के बजट और योजनाओं के बावजूद इतनी कम प्रगति चिंता का विषय है।