Tuesday, May 27, 2025

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया RTI आवेदन

Live Law: New Delhi: Tuesday, May 27, 2025.
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सूचना के अधिकार अधिनियम
, 2005 (RTI Act) के तहत दायर आवेदन खारिज किया। इस आवेदन में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों के संबंध में इन-हाउस जांच समिति द्वारा स्तुत रिपोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) द्वारा राष्ट्रपति और धानमंत्री को उ जांच रिपोर्ट अग्रेषित करते ए लिखे गए प की ति मांगी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने अमृतपाल सिंह खालसा द्वारा 9 मई को स्तुत आवेदन को यह कहते ए खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया बनाम सुभाष चं अवाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उल्लिखित परीणों के मद्देनजर जानकारी दान नहीं की जा सकती। RTI Act की धारा 8(1)(ई) और 11(1) का भी संदर्भ दिया गया।
अधिनियम की धारा 8(1)(ई) के अनुसार, किसी क्ति के पास उसके यी संबंध में उपल जानकारी को तब तक कटीकरण से छूट दी जाती है जब तक कि सम प्राधिकारी इस बात से संतु न हो कि व्यापक जनहित में ऐसी जानकारी का कटीकरण आवक है। अधिनियम की धारा 11 के अनुसार, तीसरे प की जानकारी को कटीकरण से छूट दी गई।
सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रा र और सीपीआईओ द्वारा 21 मई को दिए गए जवाब में कहा गया,
"माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिविल अपील नंबर 10044-45/2010 (सीपीआईओ, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया बनाम सुभाष चं अवाल, (2020) 5 एससीसी 481) में पारित दिनांक 13.11.2019 के अपने फैसले में उल्लिखित परीणों के मद्देनजर जानकारी दान नहीं की जा सकती, जैसे कि न्यायपालिका की तंता, आनुपातिकता परीण, यी संबंध, निजता के अधिकार का हनन और गोपनीयता के कर्त का उल्लंघन आदि। RTI Act, 2005 की धारा 8(1)(ई) और धारा 11(1) के प्रावधानों के संदर्भ में।"
8 मई को तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने आंतरिक जांच समिति द्वारा स्तुत रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति और धानमंत्री को भेज दिया था। 22 मार्च को सीजेआई ने जस्टिस शील नागू (पी एंड एच हाईकोर्ट के सीजे), जस्टिस जीएस संधावालिया (एचपी हाईकोर्ट के सीजे) और जस्टिस अनु शिवरामन (कर्नाटक हाईकोर्ट के जज) की समिति गठित की थी।
यह समिति जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास के बाहरी हिस्से में आग बुझाने के अभियान के दौरान एक स्टोर म से अचानक नकदी का एक बड़ा भंडार मिलने की रिपोर्ट के बाद गठित की गई थी। उस समय जस्टिस वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट के मौजूदा जज थे। विवाद के बाद जस्टिस वर्मा को उनके पैतृक हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रां सफर कर दिया गया। सीजेआई के निर्देशानुसार जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस ले लिया गया।
दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की प्रारंभिक रिपोर्ट और जस्टिस वर्मा के जवाब के साथ-साथ दिल्ली पुलिस द्वारा ली गई तस्वीरों और वीडियो को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक कर दिया गया, लेकिन अंतिम जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया।