Monday, March 24, 2025

डेटा प्रोटेक्शन एक्ट से RTI पर हमला, लोकतंत्र और पारदर्शिता खतरे में; 500 करोड़ का लगेगा जुर्माना

Right News India: Delhi: Monday, March 24, 2025.
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाया गया डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (Digital Personal Data Protection Act, 2023) सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act, 2005) को कमजोर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस नए कानून के तहत सरकार व्यक्तिगत डेटा को छुपाने का अधिकार हासिल कर सकती है, जिससे भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले खोजी पत्रकारों और RTI कार्यकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने का रास्ता खुल गया है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने इस बदलाव को लोकतंत्र पर सीधा प्रहार बताया।
RTI Act 2005:
पारदर्शिता का हथियार अब कमजोर
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 ने नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया था। इसका मकसद सरकार में पारदर्शिता, जवाबदेही बढ़ाना और भ्रष्टाचार को रोकना था। लेकिन डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत किए गए संशोधनों से अब यह अधिकार खतरे में पड़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल अपनी और अपने करीबियों की कमियों को छुपाने के लिए कर सकती है।
डेटा प्रोटेक्शन एक्ट: भ्रष्टाचार को ढाल, जनता पर जुर्माना
नए कानून के तहत, अगर कोई पत्रकार या RTI कार्यकर्ता सरकारी घोटालों को उजागर करता है, तो उस पर 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने कहा, “मोदी सरकार ने RTI को कमजोर कर लोकतंत्र पर हमला किया है। अब भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा 500 करोड़ का जुर्माना है।” उन्होंने आगे कहा कि यह कानून व्यक्तिगत सूचना को छुपाने का अधिकार सरकार को देता है, जिससे खोजी पत्रकारिता पर रोक लगेगी और जनता के सवाल दब जाएंगे।
व्यक्तिगत डेटा के नाम पर सच को दफन करने की तैयारी
डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन के बाद, बैंक घोटाले, राशन कार्ड धांधली, और वोटर लिस्ट में हेरफेर जैसी जानकारियों को “पर्सनल डेटा” बताकर जनता से छुपाया जा सकता है। NCPRI की कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने चेतावनी दी कि अगर यह कानून लागू हुआ, तो मीडिया भी इसकी चपेट में आएगा। उन्होंने कहा, “यह कानून RTI को मार डालेगा और भ्रष्टाचारियों को बचाने का हथियार बन जाएगा। इसे पूरी तरह खत्म करना चाहिए।”
सरकार का मनमाना अधिकार, जनता के सवालों पर ताला
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं ने बताया कि डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत एक सरकारी बोर्ड तय करेगा कि कौन सा खुलासा “अवैध” है और किस पर कितना जुर्माना लगेगा। सरकार जिसे चाहेगी, उसे इस कानून से छूट दे सकती है, लेकिन बाकी सब पर सख्ती बरती जाएगी। इसका मतलब है कि जनता को अब सरकार से सवाल पूछने का हक भी सीमित हो जाएगा। वक्ताओं ने मांग की कि RTI में हुए संशोधन को तुरंत वापस लिया जाए।
लोकतंत्र पर खतरा: RTI की हत्या का मतलब अधिकारों का अंत
वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि RTI का कमजोर होना सीधे तौर पर नागरिकों के सभी अधिकारों को प्रभावित करेगा। अंजलि भारद्वाज ने कहा, “RTI की हत्या लोकतंत्र पर प्रहार है। यह कानून जनता को अंधेरे में रखने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का जरिया बन गया है।” प्रशांत कुमार ने भी चिंता जताते हुए कहा कि यह कानून सरकार को मनमानी करने की ताकत देता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही खत्म हो जाएगी।
जनता की मांग: RTI को बचाओ, भ्रष्टाचार को उजागर करो
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एकजुट स्वर में मांग उठी कि डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के जरिए RTI में किए गए बदलावों को रद्द किया जाए। वक्ताओं ने कहा कि यह कानून न केवल RTI को नष्ट करेगा, बल्कि खोजी पत्रकारिता और नागरिकों के सूचना के अधिकार को भी कुचल देगा। जनता और कार्यकर्ताओं का मानना है कि सरकार को अपनी गलतियों को छुपाने के बजाय पारदर्शिता को बढ़ावा देना चाहिए।