Wednesday, March 26, 2025

RTI के तहत पूछे गए सवाल का नहीं दिया जवाब, अब अधिकारी की सैलरी से कटेगा जुर्माने का पैसा

NDTV: Rajasthan: Wednesday, March 26, 2025.
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि निगम उपायुक्त का यह रवैया बताता है कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है. इसलिए उनके इन कृत्यों के लिए उन्हें दोषी करार दिया जाता है
राजस्थान राज्य सूचना आयोग (
RIC) ने सूचना का अधिकार कानून (RTI) के तहत जानकारी नहीं देने पर नगर निगम ग्रेटर (Jaipur Greater Municipal Corporation) के स्टेट पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर (गौशाला) पर 2500 रुपये का जुर्माना लगाया है. सूचना आयुक्त सुरेश चंद गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि जोन उपायुक्त (गौशाला) का यह रवैया सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रति उनकी लापरवाही को प्रकट करता है.
डेढ़ साल बाद भी नहीं मिला था जवाब
दरअसल, एडवोकेट बरजंग सिंह शेखावत ने जयपुर नगर निगम ग्रेटर ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी, जो की नियम विरुद्ध पालतू पशुओं को घर पर रखने के संबंध में थी. इसमें उक्त शिकायत में हुई कार्यवाही के संबंध में सूचना मांगी थी. सूचना के लिए उन्होंने आरटीआई के तहत 07 सितंबर  2023 को आवेदन किया था, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद भी उन्हें सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई. इसके बाद परिवादी ने सूचना के अधिकार कानून के तहत प्रथम अपील की. लेकिन प्रथम अपील पर भी उनके द्वारा सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई.
नोटिस का जवाब तक नहीं दिया
इसके बाद परिवादी ने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की. द्वितीय अपील पर सुनवाई करते हुए आयोग ने 7 जून 2024 को गौशाला उपायुक्त को आदेश दिया कि वह परिवादी को सूचना उपलब्ध करवाए. लेकिन निगम उपायुक्त की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई. इस पर परिवादी ने फिर से राज्य सूचना आयोग में परिवाद दायर किया. इस पर आयोग ने निगम उपायुक्त को नोटिस जारी कर 15 दिन में स्पष्टीकरण देने और व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए. उपायुक्त ने इसकी पालना भी नहीं की, ना ही व्यक्तिगत रूप से पेश हुए एवं ना ही धारा 20(1) के नोटिस पर स्पष्टीकरण दिया.
वेतन से काटी जाएगी जुर्माना राशि
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि निगम उपायुक्त का यह रवैया बताता है कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया है. इसलिए उनके इन कृत्यों के लिए उन्हें दोषी करार दिया जाता है. उन पर ढाई हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है. यह जुर्माना उनके वेतन से काटकर 30 दिन के अंदर आयोग में जमा करवाया जाए. इसके साथ ही आयोग ने अपने आदेश की प्रति लेखा शाखा एवं आयुक्त, नगर निगम ग्रेटर जयपुर को प्रेषित की गई.