जागरण: नई दिल्ली: मंगलवार, जान्यूआरी 14, 2025.
दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री की जानकारी उपलब्ध कराने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती दी है। डीयू का तर्क है कि आरटीआई का उद्देश्य किसी तीसरे पक्ष की जिज्ञासा को संतुष्ट करना नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीआईसी का आदेश स्थापित कानून के विपरीत है और इसके दूरगामी प्रतिकूल परिणाम होंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय ने सोमवार को कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) का उद्देश्य किसी तीसरे पक्ष की जिज्ञासा को संतुष्ट करना नहीं था। डीयू की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ के समक्ष कहा कि छात्रों की जानकारी एक विश्वविद्यालय द्वारा विश्वसनीय रूप में रखी जाती है और कानून द्वारा इसे छूट दिए जाने के कारण इसे किसी अजनबी को नहीं बताया जा सकता है।
डीयू ने यह जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका पर दिया।
'प्रशासन की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा'मेहता ने सोमवार को सीआईसी के आदेश को स्थापित कानून के विपरीत बताते हुए कहा कि आरटीआई अधिनियम के तहत सभी और विविध सूचनाओं के प्रकटीकरण की अंधाधुंध और अव्यवहारिक मांग अप्रभावी होगी और प्रशासन की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। मेहता ने कहा कि सीआईसी के आदेश का याचिकाकर्ताओं और देश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए दूरगामी प्रतिकूल परिणाम होंगे।