Sunday, October 13, 2024

19 साल का हुआ सूचना का अधिकार, आंकड़ों में देखें आरटीआई का अबतक का सफर.

Navbharat Times: Sunday, October 13, 2024.
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 ने आज 19 साल पूरे कर लिए हैं। आज के ही दिन आरटीआई एक्ट 2005 में शुरू हुआ था। लेकिन इस मौके पर एक रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि देशभर के 29 सूचना आयोगों में 4 लाख से ज्यादा अपीलें और शिकायतें लंबित हैं।
4 लाख से ज्यादा मामले पेंडिंग
यह रिपोर्ट पारदर्शिता कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज के नेतृत्व वाले सिविल सोसाइटी ग्रुप सतर्क नागरिक संगठन ने तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक 30 जून 2024 तक देश के अलग-अलग सूचना आयोगों में 4,05,509 मामले लंबित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाराष्ट्र सूचना आयोग में सबसे ज्यादा 1,08,641 अपीलें और शिकायतें लंबित हैं। इसके बाद कर्नाटक (50,000), तमिलनाडु (41,241) और छत्तीसगढ़ (25,317) का नंबर आता है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
रिपोर्ट बताती है कि 31 मार्च 2019 तक 26 सूचना आयोग में कुल 2,18,347 मामले लंबित थे। जून 2022 में यह संख्या 3 लाख के पार चली गई। इस साल यह संख्या बढ़कर 4,05,509 हो गई है। इस बीच, 27 आयोग सूचना द्वारा 1 जुलाई 2023 और 30 जून 2024 के बीच 2,31,417 अपीलें और शिकायतें दर्ज की गईं। इसी अवधि के दौरान, 28 आयोगों ने 2,25,929 मामलों का निपटारा किया।
राज्यों में सूचना आयोग की क्या स्थिति?
रिपोर्ट में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। रिपोर्ट कहती है कि पिछले एक साल में सात सूचना आयोग झारखंड, तेलंगाना, गोवा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ अलग-अलग समय के लिए निष्क्रिय रहे। इनमें से चार आयोग झारखंड, तेलंगाना, गोवा और त्रिपुरा अभी भी निष्क्रिय हैं।
मामलों में देरी की क्या है वजह?
यहां तक कि केंद्रीय सूचना आयोग भी लगभग एक साल से केवल तीन आयुक्तों के साथ काम कर रहा है, जिसमें प्रमुख भी शामिल हैं। रिपोर्ट में सीआईसी में लंबित अपीलों और शिकायतों पर ध्यान आकर्षित किया गया है, जो 30 जून तक 22,774 मामले थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मामलों के निपटारे में देरी के लिए दो कारण जिम्मेदार हैं- आयोगों में रिक्तियां और आयुक्तों द्वारा धीमी गति से निपटान।