Monday, August 12, 2024

पूजा खेडकर के बाद कुछ और IAS की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, पुणे के RTI एक्टीविस्ट को राष्ट्रपति भवन से मिला ये जवाब

Navbharat Times: Pune: Monday, 12 August 2024.
पूजा खेडकर के बाद सिविल सेवा में चुने गए कुछ और अफसरों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सोशल मीडिया पर इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पुणे के आरटीआई एक्टीविस्ट की शिकायत को राष्ट्रपति भवन ने डीओपीटी को कार्रवाई के लिए भेजा है। पूजा खेडकर केस में बड़े खुलासे करने वाले विजय कुंभार ने संपूर्ण जांच की मांग की है।
महाराष्ट्र की बर्खास्त ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के मामले में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद दर्जनभर से अधिकारी दूसरे अधिकारियों की विकलांगता और सर्टिफिकेट पर सवाल खड़े हुए थे। पूजा खेडकर के मामले को सोशल मीडिया पर सबसे पहले बीड के रहने वाले वैभव कोकट ने पोस्ट किया था। तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले में पुणे के आरटीआई एक्टीविस्ट विजय कुंभार ने काफी बड़े-बड़े खुलासे किए थे। इसके बाद पूजा खेडकर के खिलाफ एक्शन हुआ था। यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी को रद्द किया था। अब सामने आया है कि कुछ और सिविल सेवा में चयनित अधिकारी जांच के दायरे में आ सकती है।
राष्ट्रपति भवन से आया जवाब
विजय कुंभार ने पूजा खेडकर के मामले का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में फर्जी प्रमाणपत्रों के उपयोग में वृद्धि का मुद्दा उठाया था। कुंभार ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा था कि ट्रेनी आईएएस डॉ. पूजा खेडकर के मामले ने भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था और सरकार को हिलाकर रख दिया है। कुंभार ने मांग की थी कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी प्रमाणपत्रों के उपयोग की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया जाए। अब विजय कुंभार राष्ट्रपति भवन से उत्तर मिला है। कुंभार के अनुसार राष्ट्रपति भवन ने उनकी शिकायती पत्र पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (Dopt) को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। राष्ट्रपति भवन ने मामला डीओपीटी को भेज दिया है। विजय कुंभार ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में कहा है कि आमतौर पर कंप्लेन को फारवर्ड कर दिया जाता है, लेकिन इस मामले में राष्ट्रपति भवन ने ऐसा नहीं किया है। केंद्र सरकार के डीओपीटी क्या चाहते हैं विजय कुंभार?
कुंभार चाहते हैं कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में फर्जी प्रमाणपत्रों के उपयोग की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया जाए। कुंभार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर बताया है कि यूपीएससी, राज्य पीएससी और इसी तरह की अन्य परीक्षाओं की परीक्षा प्रक्रियाओं की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं। कुंभार ने पत्र में कहा है कि जाति, विकलांगता, खेल और अन्य विशेष श्रेणियों से संबंधित फर्जी प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग में चिंताजनक वृद्धि हुई है, जिसका उपयोग अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इनमें जैसे कि बढ़े हुए अंक या रियायतें, जिससे अंततः अनुचित नौकरी या पदोन्नति मिलती है। कुंभार ने लिखा है कि यह बात सामने आया है कि कई उम्मीदवारों ने असफल प्रयासों के बाद अचानक बाद के प्रयासों में विकलांगता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए हैं, जिससे उनकी प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा होता है मंत्रालय को कार्रवाई के लिए कहा है।
गुजरात में रडार पर हैं पांच अधिकारी
विजय कुंभार ने यह सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने की मांग ऐसे वक्त पर उठाई है। जब सोशल मीडिया से लेकर कई नौकरशाहों ने यूपीएसपी की साख पर खड़े हुए वालों को दूर करने के लिए जांच की मांग हो रही है। गुजरात सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) में अपने स्तर पर जांच में पांच आईएएस का दोबारा मेडिकल कराने का फैसला किया है। इनमें दो आईएएस का मामला काफी सीरियस माना जा रहा है। तेलंगाना कैडर की आईएएस स्मिता सभरवाल ने यूपीएसपी की तरफ से पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द किए जाने की तारीफ की थी। तब सभरवाल ने मांग की थी, जिन अधिकारियों (विकलांग और कोटे वाले) के प्रमाणपत्रों पर सवाल खड़े हुए हैं। उनकी जांच होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने मनाेज सोनी के बाद प्रीति सूदन को यूपीएसपी की कमान दी है।