Live Law: New Delhi: Thursday, July 25, 2024.
दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) की धारा 20 के तहत लोक सूचना अधिकारी के खिलाफ शुरू की गई दंडात्मक कार्यवाही में सूचना चाहने वाले को कोई अधिकार नहीं है।
धारा 20 में कहा गया कि केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) या राज्य सूचना आयोग (SIC) को शिकायत या दूसरी अपील पर निर्णय लेते समय लोक सूचना अधिकारी (PIO) पर जुर्माना लगाने की शक्ति है।
प्रावधान के अनुसार, जुर्माना लगाया जा सकता है, यदि PIO आवेदन प्राप्त करने से इनकार करता है और आवेदन प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी प्रदान नहीं करता है।
“इस न्यायालय की राय में RTI Act की धारा 20(2) के तहत राय बनाना सीआईसी की पर्यवेक्षी शक्तियों के प्रयोग में है, न कि न्यायिक शक्तियों के प्रयोग में। यह न्यायालय भी मानता है कि सूचना मांगने वाले को RTI Act की धारा 20 के तहत दंड कार्यवाही में कोई अधिकार नहीं है।"
खंडपीठ ने RTI आवेदक द्वारा अपनी याचिका खारिज किए जाने और RTI Act, 2005 की धारा 20 के तहत अधिकारियों पर जुर्माना लगाने की मांग करने वाली पुनर्विचार याचिका के खिलाफ दायर अपील खारिज की। अपील इस आधार पर खारिज की गई कि आवेदक द्वारा मांगी गई सच्ची और सही जानकारी उसे रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान ही प्रदान की जा चुकी थी और उचित कार्रवाई की गई थी, क्योंकि तीन दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई थी।
आवेदक ने कहा कि अधिकारियों ने न केवल गलत जानकारी प्रदान की, बल्कि उन्हें सही जानकारी या उत्तर प्रदान करने में तीन साल की अत्यधिक देरी भी की। अपील खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि CIC को अपने विवेकानुसार RTI Act की धारा 20(1) के तहत मौद्रिक जुर्माना लगाने का निर्देश नहीं देने का पूरा अधिकार है, खासकर तब जब RTI आवेदक द्वारा मांगी गई सूचना उसे उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया हो।
न्यायालय ने कहा,
"उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान अपील और आवेदन को खारिज किया जाता है। लागत के संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया।"
Title: SH SUNNY SACHDEVA v. ACP NORTH RTI CELL AND ANR