Awaaz24x7: Dehradun: Sunday, 16 June 2024.
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने एक अपील की सुनवाई करते हुए एम बी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी और उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी को व्यक्तिगत सूचना का हवाला देकर सूचना छुपाने और अपीलार्थी को गुमराह करने के किए लताड़ लगाई और अगली सुनवाई में सूचना से संबन्धित सभी प्रपत्र लेकर आयोग के सामने हाजिर होने के आदेश दिये ।
अपीलार्थी सुनील मेहता द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी से एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी में नियुक्त सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में प्रयुक्त दस्तावेज़ मानक नियमावली आदि की सूचनाएँ मांगी गयी थी जिस पर उच्च शिक्षा निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी ने एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी को सूचना देने के लिए पत्र प्रेषित किया लेकिन एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी के द्वारा वांछित सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गयी जिस पर अपीलार्थी के द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रथम अपील की गयी । लेकिन अपील में भी एम बी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी ने निजी सूचना कहकर पल्ला झाड़ लिया और यह भी बताया कि उक्त प्राध्यापक जिसके बारे में अन्य जानकारी मांगी जा रही है वो उनके पास उपलब्ध नहीं है । इसी तरह उच्च निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी ने भी दस्तावेज़ उपलब्ध न होने का हवाला दिया और अंततः सूचना प्राप्त नहीं हो पायी जिसके बाद अपीलार्थी ने उत्तराखंड राज्य आयोग में अपील की।
27 मई 2024 को राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने सुनवाई करते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी आर एस भाकुनी से सूचना उपलब्ध न करवाने का कारण पूछा तो उन्होने आयोग को बताया कि निदेशालय के पास केवल वर्तमान में हुई तैनाती के संबंध में विवरण होते है, बाकी के विवरण जिस महाविद्यालय में पहली नियुक्ति हुई है वहाँ उपलब्ध होते है, संबन्धित प्राध्यापक की पहली नियुक्ति राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण में हुई थी इसलिए संबन्धित दस्तावेज़ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण से मांगे जा सकते है । जिस पर राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जब आपको पता था कि पहली नियुक्ति गैरसैण है तो आपने सूचना एमबी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी क्यों हस्तांतरित की जबकि आपको सूचना राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण हस्तांतरित करनी चाहिए थी । योगेश भट्ट ने लोक सूचना अधिकारी को सूचना अधिकार अधिनियम की व्यावहारिकता के बारे में बताते हुए आदेशित किया कि वो सूचना से संबन्धित सभी प्रपत्र और उच्च शिक्षा निदेशालय के कार्मिक विभाग के संबन्धित सभी दस्तावेज़ लेकर अगली सुनवाई को मौजूद रहेंगे ।
एमबी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि डॉ0 एस0 के0 श्रीवास्तव से राज्य सूचना आयुक्त ने पूछा कि आपके द्वारा व्यक्तिगत सूचना का हवाला दिया गया है और सूचना को लंबे समय तक टाल दिया गया जिस पर डॉ0 एस0 के0 श्रीवास्तव ने कहा कि मांगी गयी सूचना प्राध्यापक के निजी शिक्षा के दस्तावेजों से है जिसमें आपत्ति हो सकती है । जिस पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन अर्हता एवं योग्यता प्रमाण पत्रों के आधार पर सूचना अधिकार के अंतर्गत आने वाले लोक प्राधिकार में चयन किया जाता है उन्हें सार्वजनिक न किया जाना अथवा सूचना अधिकार के अंतर्गत देने से मना किया जाना सूचना अधिकार अधिनियम की मूल भावना पारदर्शिता के विपरीत है। किसी भी लोक प्राधिकार के अंतर्गत कार्मिकों की नियुक्ति में पारदर्शिता व्यापक लोकहित का विषय है।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने एक अपील की सुनवाई करते हुए एम बी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी और उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी को व्यक्तिगत सूचना का हवाला देकर सूचना छुपाने और अपीलार्थी को गुमराह करने के किए लताड़ लगाई और अगली सुनवाई में सूचना से संबन्धित सभी प्रपत्र लेकर आयोग के सामने हाजिर होने के आदेश दिये ।
अपीलार्थी सुनील मेहता द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी से एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी में नियुक्त सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में प्रयुक्त दस्तावेज़ मानक नियमावली आदि की सूचनाएँ मांगी गयी थी जिस पर उच्च शिक्षा निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी ने एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी को सूचना देने के लिए पत्र प्रेषित किया लेकिन एमबी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी के द्वारा वांछित सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गयी जिस पर अपीलार्थी के द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय में प्रथम अपील की गयी । लेकिन अपील में भी एम बी राजकीय महाविद्यालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी ने निजी सूचना कहकर पल्ला झाड़ लिया और यह भी बताया कि उक्त प्राध्यापक जिसके बारे में अन्य जानकारी मांगी जा रही है वो उनके पास उपलब्ध नहीं है । इसी तरह उच्च निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी ने भी दस्तावेज़ उपलब्ध न होने का हवाला दिया और अंततः सूचना प्राप्त नहीं हो पायी जिसके बाद अपीलार्थी ने उत्तराखंड राज्य आयोग में अपील की।
27 मई 2024 को राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने सुनवाई करते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी आर एस भाकुनी से सूचना उपलब्ध न करवाने का कारण पूछा तो उन्होने आयोग को बताया कि निदेशालय के पास केवल वर्तमान में हुई तैनाती के संबंध में विवरण होते है, बाकी के विवरण जिस महाविद्यालय में पहली नियुक्ति हुई है वहाँ उपलब्ध होते है, संबन्धित प्राध्यापक की पहली नियुक्ति राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण में हुई थी इसलिए संबन्धित दस्तावेज़ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण से मांगे जा सकते है । जिस पर राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जब आपको पता था कि पहली नियुक्ति गैरसैण है तो आपने सूचना एमबी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी क्यों हस्तांतरित की जबकि आपको सूचना राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय गैरसैण हस्तांतरित करनी चाहिए थी । योगेश भट्ट ने लोक सूचना अधिकारी को सूचना अधिकार अधिनियम की व्यावहारिकता के बारे में बताते हुए आदेशित किया कि वो सूचना से संबन्धित सभी प्रपत्र और उच्च शिक्षा निदेशालय के कार्मिक विभाग के संबन्धित सभी दस्तावेज़ लेकर अगली सुनवाई को मौजूद रहेंगे ।
एमबी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि डॉ0 एस0 के0 श्रीवास्तव से राज्य सूचना आयुक्त ने पूछा कि आपके द्वारा व्यक्तिगत सूचना का हवाला दिया गया है और सूचना को लंबे समय तक टाल दिया गया जिस पर डॉ0 एस0 के0 श्रीवास्तव ने कहा कि मांगी गयी सूचना प्राध्यापक के निजी शिक्षा के दस्तावेजों से है जिसमें आपत्ति हो सकती है । जिस पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन अर्हता एवं योग्यता प्रमाण पत्रों के आधार पर सूचना अधिकार के अंतर्गत आने वाले लोक प्राधिकार में चयन किया जाता है उन्हें सार्वजनिक न किया जाना अथवा सूचना अधिकार के अंतर्गत देने से मना किया जाना सूचना अधिकार अधिनियम की मूल भावना पारदर्शिता के विपरीत है। किसी भी लोक प्राधिकार के अंतर्गत कार्मिकों की नियुक्ति में पारदर्शिता व्यापक लोकहित का विषय है।