दैनिक जागरण: नई दिल्ली: Friday, 10 September 2021.
इसे विडंबना कहें या विभागीय लापरवाही, जिस दिल्ली ट्री अथारिटी का गठन हरित क्षेत्र बढ़ाने और वृक्षों का संरक्षण करने के लिए किया गया था, वह खुद ही बैठकों की खाद नहीं मिलने से दम तोड़ने को मजबूर है। कई अहम प्रस्ताव भी इसीलिए सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं क्योंकि अथारिटी की बैठक नहीं हो रही है। अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद द्वारा लगाई गई एक आरटीआइ के जवाब में सामने आया है कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत दिल्ली ट्री अथारिटी का गठन 24 जुलाई 1995 में हुआ था।
अधिनियम का सेक्शन चार कहता है कि अथारिटी की बैठक हर तीन माह में की जानी चाहिए। लेकिन यहां आलम यह है कि 26 सालों में केवल आठ बार ही अथारिटी की बैठक हुई है। पहली बैठक ही 12 साल बाद हुई। इस आरटीआइ में वन विभाग से पूछा गया था कि कब-कब ट्री अथारिटी की बैठक की गई, उसके मिनट्स मुहैया करवाए जाएं।
वन क्षेत्र बढ़ाने के अभियान में रुकावटें
आरटीआइ के जवाब में सामने आया कि तय नियमों के हिसाब से अभी तक अथारिटी की 104 बैठकें हो जानी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि, बैठकें नहीं होने के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की गई है। नतीजा, दिल्ली में हरियाली और वन क्षेत्र बढ़ाने के अभियान में रुकावटें उत्पन्न होना। इससे अधिक हैरानी की बात और क्या होगी कि चांदनी चौक में दो सौ साल से अधिक पुराने बरगद के पेड़ को गोद लेने के लिए 30 से अधिक आवेदन आ चुके हैं, लेकिन इसका निर्णय भी इसीलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि ट्री अथारिटी की बैठक लंबे समय से नहीं हुई।
आदित्य एन प्रसाद ने इस विभागीय लापरवाही को लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि ट्री अथारिटी की बैठक नहीं होना पेड़ों के संरक्षण और वनीकरण के प्रति गंभीरता की कमी को दर्शाता है। उन्होंने मुख्य सचिव से इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच समिति गठित करने की भी सिफारिश की है। साथ ही उनसे अथारिटी को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह अपनी नियमित बैठकें, उनका एजेंडा और मिनट्स को सार्वजनिक डोमेन पर अपलोड करें।
इसे विडंबना कहें या विभागीय लापरवाही, जिस दिल्ली ट्री अथारिटी का गठन हरित क्षेत्र बढ़ाने और वृक्षों का संरक्षण करने के लिए किया गया था, वह खुद ही बैठकों की खाद नहीं मिलने से दम तोड़ने को मजबूर है। कई अहम प्रस्ताव भी इसीलिए सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं क्योंकि अथारिटी की बैठक नहीं हो रही है। अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद द्वारा लगाई गई एक आरटीआइ के जवाब में सामने आया है कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत दिल्ली ट्री अथारिटी का गठन 24 जुलाई 1995 में हुआ था।
अधिनियम का सेक्शन चार कहता है कि अथारिटी की बैठक हर तीन माह में की जानी चाहिए। लेकिन यहां आलम यह है कि 26 सालों में केवल आठ बार ही अथारिटी की बैठक हुई है। पहली बैठक ही 12 साल बाद हुई। इस आरटीआइ में वन विभाग से पूछा गया था कि कब-कब ट्री अथारिटी की बैठक की गई, उसके मिनट्स मुहैया करवाए जाएं।
वन क्षेत्र बढ़ाने के अभियान में रुकावटें
आरटीआइ के जवाब में सामने आया कि तय नियमों के हिसाब से अभी तक अथारिटी की 104 बैठकें हो जानी चाहिए थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। हालांकि, बैठकें नहीं होने के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं की गई है। नतीजा, दिल्ली में हरियाली और वन क्षेत्र बढ़ाने के अभियान में रुकावटें उत्पन्न होना। इससे अधिक हैरानी की बात और क्या होगी कि चांदनी चौक में दो सौ साल से अधिक पुराने बरगद के पेड़ को गोद लेने के लिए 30 से अधिक आवेदन आ चुके हैं, लेकिन इसका निर्णय भी इसीलिए नहीं हो पा रहा क्योंकि ट्री अथारिटी की बैठक लंबे समय से नहीं हुई।
आदित्य एन प्रसाद ने इस विभागीय लापरवाही को लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव को भी पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि ट्री अथारिटी की बैठक नहीं होना पेड़ों के संरक्षण और वनीकरण के प्रति गंभीरता की कमी को दर्शाता है। उन्होंने मुख्य सचिव से इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच समिति गठित करने की भी सिफारिश की है। साथ ही उनसे अथारिटी को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह अपनी नियमित बैठकें, उनका एजेंडा और मिनट्स को सार्वजनिक डोमेन पर अपलोड करें।