Friday, April 09, 2021

‘ख़बरें निकालकर उसे बदनाम करने के लिए RTI के दुरुपयोग’ से मोदी सरकार ख़फा. काट के लिए बना रही है योजना

The Print: New Delhi: Friday, 09 April 2021.
दिप्रिंट को पता चला है कि मीडिया में, ख़ासकर विदेशों में बढ़ती, अपनी निगेटिव इमेज से चिंतित होकर, नरेंद्र मोदी सरकार ने ‘प्रेस को हैंडल’ करने के लिए एक योजना बनाई है.
सूत्रों ने कहा कि अब वरिष्ठ अधिकारियों से, अनौपचारिक रूप से कहा जाएग, कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत, आवेदनों का ‘समग्रता’ के साथ जवाब दें, और परिस्थितियों का विस्तार से वर्णन करें ताकि उसमें व्याख्या की गुंजाइश न रहे.
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने एक बीबीसी संवाददाता के मामले का हवाला दिया है, जिसने लॉकडाउन को लेकर 240 आवेदन दाख़िल किए- ये दिखाने के लिए कि कैसे लॉकडाउन लागू करने से पहले, सरकार ने विभागों और प्रमुख विशेषज्ञों से परामर्श नहीं किया- और सुझाव दिया है कि आगे से सभी आवेदन, वरिष्ठ अधिकारियों से होकर जाएंगे.
उन्होंने आगे कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी, ‘ख़बरें निकालने के लिए RTI के दुरुपयोग’ से ख़फा है, और बीबीसी संवाददाता के मामले का इस्तेमाल करते हुए, सभी मंत्रालयों को बताया गया है, कि कैसे आरटीआई आवेदन ‘सरकार को बदनाम करने के मक़सद से’ दाख़िल किए जा रहे हैं.
दिप्रिंट ने लिखित संदेशों के ज़रिए, टिप्पणी लेने के लिए आईएंडबी मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन इस ख़बर के छपने तक, कोई जवाब हासिल नहीं हुआ था.
GoM रिपोर्ट ने क्या सुझाया
पिछले साल अक्तूबर में, एक नौ सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) ने, ‘मीडिया हैंडलिंग’ को लेकर सरकार को एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें सुझाया गया था कि प्रेस को किस तरह अपने अनुकूल बनाए. उसके बाद ही आईएंडबी मंत्रालय ने अपने तमाम फील्ड अधिकारियों को, सक्रिय कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘ग़लत रिपोर्टिंग के मामलों में, अधिकारियों से अपने जवाब भेजने के लिए कहा गया. साथ ही तमाम मंत्रालयों और विभागों से, आरटीआई आवेदनों का जवाब देते समय, सावधानी बरतने को कहा गया है, चूंकि कुछ लोग शरारतपूर्ण ढंग से, सरकार को बदनाम करने के लिए, आरटीआई आवेदन दाख़िल कर रहे हैं’.
अधिकारी ने, जो अज्ञात रहना चाहते थे, कहा: ‘भारत सरकार के बारे में वैश्विक राय प्रभावित हुई है, और इसका कारण ख़ासतौर पर ग़लत या शरारतपूर्ण रिपोर्टिंग है. इन पहलुओं पर ग़ौर करना ज़रूरी है, और अधिकारियों से कहा गया कि वो ज़्यादा सक्रिय रहें, और सरकार के रुख़ की बेहतर ढंग से व्याख्या करें’.
सूत्रों ने कहा कि जीओएम रिपोर्ट में, ये सिफारिश भी की गई, कि सरकार को ऐसे पत्रकारों को चिन्हित करके उनसे संपर्क स्थापित करना चाहिए, जिन्होंने अपनी नौकरियां खो दी हैं, लेकिन जो विभिन्न मंत्रालयों में, मोदी सरकार के ‘समर्थन में या उसके प्रति निष्पक्ष’ रहे हैं, ताकि ‘उनकी सेवाओं का इस्तेमाल करके, सरकार की छवि को सकारात्मक ढंग से पेश किया जा सके’.
मंत्री समूह ने ये भी सुझाया था कि ग्लोबल आउटरीच के तहत, विदेशी पत्रकारों के साथ नियमित रूप से संपर्क बना रहना चाहिए, जिससे कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ‘सरकार के दृष्टिकोण’ को, सही तरीक़े से रखा जा सके.
सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में ये भी सुझाया गया था, कि 50 ‘नकारात्मक प्रभाव डालने वालों’ की पहचान की जाए, जो ग़लत ख़बरें फैलाकर सरकार को बदनाम करते हैं. और साथ ही, ऐसे 50 सकारात्मक असर डालने वालों को चिन्हित किया जाए, जो सरकार के काम को ‘सही दृष्टिकोण’ के साथ पेश करते हैं.