दैनिक जागरण: बक्सर: Friday,
09 October 2020.
सूचना के अधिकार के तहत पुलिस से सूचना मांगना एक सामाजिक कार्यकर्ता को महंगा पड़ गया। मामला धनसोई थाना क्षेत्र के धनसोई गांव निवासी समाजिक कार्यकर्ता सह पूर्व मुखिया प्रतिनिधि संतोष भगवान सिंह से जुड़ा है। उन पर छह साल पहले मारपीट का मामूली केस हुआ था, जिसमें जमानत भी मिल गई थी। उसके बाद से कई चुनाव हुए लेकिन इस बार उन पर सीसीए लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
संतोष भगवान सिंह ने बताया कि करीब एक माह पूर्व धनसोई गांव निवासी पुष्पा देवी एवं चिरैया देवी द्वारा एक लिखित आवेदन देकर न्याय दिलाने की मांग की गई थी। उसी मामले में धनसोई थानाध्यक्ष से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। उस मामले में पुलिस से कोई जानकारी नही मिलने पर श्री सिंह ने उसकी अपील राज्य सूचना आयोग से कर दी। सूचना की मांग से बौखलाए पुलिस ने उन पर सीसीए लगाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेज दिया। इस मामले में संतोष भगवान सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष 2014 से लेकर अब तक ना तो कोई एफआइआर दर्ज हुआ है और ना ही कोई वैसा केस हमारे खिलाफ न्यायालय में लंबित है। एक दो छोटा मोटा मामला था, जिसमें न्यायालय से दोष मुक्त हो चुके हैं। इसके पहले वर्ष 2015 के बीते विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव, पैक्स के चुनाव हुए। जब उस दौरान इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं लगा तो अब क्यों? वही दूसरी तरफ थानाध्यक्ष रौशन कुमार का कहना है कि जहां विधि व्यवस्था बिगाड़ने या मतदाताओं को प्रभावित करने का अंदेशा रहता है, वैसे लोगो को सीसीए के तहत प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेज दिया जाता है।
श्रीधर पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुके संतोष भगवान, संतोष भगवान सिंह समाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ एक आरटीआइ कार्यकर्ता हैं। जिन्हें आरटीआइ के क्षेत्र बेहतर कार्य करने के लिए क्षेत्रीय प्रधान निदेशालय के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा श्रीधर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं, बक्सर न्यायालय के जाने-माने अधिवक्ता अजीत मिश्रा का कहना है कि लूट, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराध में शामिल या न्यायालय से सजायाफ्ता हो चुके अपराधी के खिलाफ ही सीसीए लगाने का प्रावधान है।
सूचना के अधिकार के तहत पुलिस से सूचना मांगना एक सामाजिक कार्यकर्ता को महंगा पड़ गया। मामला धनसोई थाना क्षेत्र के धनसोई गांव निवासी समाजिक कार्यकर्ता सह पूर्व मुखिया प्रतिनिधि संतोष भगवान सिंह से जुड़ा है। उन पर छह साल पहले मारपीट का मामूली केस हुआ था, जिसमें जमानत भी मिल गई थी। उसके बाद से कई चुनाव हुए लेकिन इस बार उन पर सीसीए लगाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
संतोष भगवान सिंह ने बताया कि करीब एक माह पूर्व धनसोई गांव निवासी पुष्पा देवी एवं चिरैया देवी द्वारा एक लिखित आवेदन देकर न्याय दिलाने की मांग की गई थी। उसी मामले में धनसोई थानाध्यक्ष से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। उस मामले में पुलिस से कोई जानकारी नही मिलने पर श्री सिंह ने उसकी अपील राज्य सूचना आयोग से कर दी। सूचना की मांग से बौखलाए पुलिस ने उन पर सीसीए लगाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेज दिया। इस मामले में संतोष भगवान सिंह का कहना है कि पिछले वर्ष 2014 से लेकर अब तक ना तो कोई एफआइआर दर्ज हुआ है और ना ही कोई वैसा केस हमारे खिलाफ न्यायालय में लंबित है। एक दो छोटा मोटा मामला था, जिसमें न्यायालय से दोष मुक्त हो चुके हैं। इसके पहले वर्ष 2015 के बीते विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव, पैक्स के चुनाव हुए। जब उस दौरान इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं लगा तो अब क्यों? वही दूसरी तरफ थानाध्यक्ष रौशन कुमार का कहना है कि जहां विधि व्यवस्था बिगाड़ने या मतदाताओं को प्रभावित करने का अंदेशा रहता है, वैसे लोगो को सीसीए के तहत प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेज दिया जाता है।
श्रीधर पुरस्कार से पुरस्कृत हो चुके संतोष भगवान, संतोष भगवान सिंह समाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ एक आरटीआइ कार्यकर्ता हैं। जिन्हें आरटीआइ के क्षेत्र बेहतर कार्य करने के लिए क्षेत्रीय प्रधान निदेशालय के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा श्रीधर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वहीं, बक्सर न्यायालय के जाने-माने अधिवक्ता अजीत मिश्रा का कहना है कि लूट, हत्या और डकैती जैसे जघन्य अपराध में शामिल या न्यायालय से सजायाफ्ता हो चुके अपराधी के खिलाफ ही सीसीए लगाने का प्रावधान है।