आजतक: नई दिल्ली: Thursday, 23 July 2020.
गणतंत्र, कानून के नियमों पर आधारित होता है. लेकिन कुछ अहम कानूनों
के ही नियम नहीं तैयार हुए हैं. एक RTI
(सूचना का अधिकार) याचिका
से खुलासा हुआ है कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी CAA के कानून बनने के बाद भी अधिनियम के नियमों की जांच
के दायित्व वाली संसदीय समिति को अब तक इसके नियम नहीं मिले हैं.
यह
अधिनियम, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अवैध प्रवासियों के लिए भारत
का नागरिक बनने का रास्ता आसान बनाता है. कोरोना वायरस की मार शुरू होने से पहले
फरवरी तक इस मुद्दे पर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए.
सीएए
को लेकर भ्रम बरकरार
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह अल्पसंख्यक समूहों- यानी
हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को इस अधिनियम में भारतीय
नागरिकता का लाभ मिलने का प्रावधान है,
लेकिन मुसलमानों को इसके
दायरे से बाहर रखा गया. अधिनियम को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई. याचिकाकर्ताओं
का कहना था विधेयक मुसलमानों के साथ भेदभाव वाला है और संविधान में निहित समानता
के अधिकार का उल्लंघन करने वाला है.
एक
आरटीआई याचिका पर सरकार के जवाब के मुताबिक अधिनियम 10 जनवरी,
2020 को लागू हुआ. लेकिन
सीएए पर भ्रम जारी है. ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय ने नियमों को फ्रेम नहीं किया
है क्योंकि संसदीय समिति उनका इंतजार कर रही है.
संसदीय
समिति के पास नहीं आए नियम
मानदंडों
के अनुसार, गृह मंत्रालय को नियमों को
फ्रेम करना चाहिए और संबंधित कानून के लागू होने के छह महीने के भीतर संसदीय समिति
को भेजना चाहिए या फिर इसके लिए और वक्त मांगना चाहिए. इसमें से कुछ भी अभी तक
नहीं हुआ है.
गृह
मंत्रालय (MHA) ने 16 अप्रैल,
2020 को याचिका के जवाब में
इंडिया टुडे को बताया, “नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (CAB) को 9 दिसंबर, 2019 और 11 दिसंबर, 2019 को क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा की ओर से पास माना गया
था. भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे 12 दिसंबर,
2019 को लागू किया गया और यह
नागरिकता संशोधन अधिनियम,
2019 बन गया. यह 10 जनवरी,
2020 को लागू हुआ.”
प्रक्रिया
के मुताबिक, गृह मंत्रालय को किसी भी
अधिनियम को लागू करने से पहले उसके नियमों को फ्रेम करना और फिर उन नियमों को जांच
के लिए अधीनस्थ विधेयक पर संसदीय स्थाई समिति को भेजना जरूरी होता है. अभी तक
समिति को गृह मंत्रालय से कोई कम्युनिकेशन नहीं मिला है. समिति ने अब मंत्रालय को CAA नियमों की स्थिति को लेकर लिखने का फैसला किया है.
समिति
के अध्यक्ष, के. रघुराम कृष्ण राजू
(वाईएसआर कांग्रेस) ने इंडिया टुडे से कहा,
“क्योंकि छह महीने बीत
चुके हैं, इसलिए, हमें उन्हें (गृह मंत्रालय) को रिमाइंडर भेजना होगा. हम ऐसा
करेंगे.”
राजू
ने कहा, “वे नियम और कानून भेज सकते हैं
या इसके लिए समय की अवधि बढ़ाने की मांग कर सकते हैं. आमतौर पर, अगर वो ऐसा विस्तार मांगते हैं, तो हम इसे एक या दो बार देते हैं.”
यह
पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब है कि CAA
अब तक अस्तित्वहीन है, राजू ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा, "प्रक्रिया के हिसाब से, यह
हमारी समिति की जांच से गुजरना चाहिए और फिर अस्तित्व में आना चाहिए."
अब
तक कितनों को नागरिकता मिली
जब
राजू का ध्यान आरटीआई पर गृह मंत्रालय के इस जवाब की ओर दिलाया गया कि अधिनियम
जनवरी 2020 से लागू हो चुका है, तो उन्होंने कहा,
"उन्होंने इसे (नियम)
तैयार किया होगा, लेकिन हमें नहीं भेजा
है."
यदि
गृह मंत्रालय अपने अनुस्मारक का जवाब नहीं देता है, तो
क्या अधिनियम कालातीत हो जाएगा?
इस सवाल पर राजू ने कहा, "अधिनियम कालातीत नहीं होगा."
आरटीआई
याचिका के इस विशिष्ट सवाल कि अब तक कितने लोगों को इस अधिनियम के तहत नागरिकता
मिली?, गृह मंत्रालय ने कोई जवाब नहीं
दिया.