Wednesday, September 11, 2019

ईमानदार अफसरों को धमकाने के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता आरटीआई एक्ट

अमर उजाला: शिमला: Wednesday, September 11, 2019.
आरटीआई एक्ट के दुरुपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसे ईमानदार अधिकारियों के उत्पीड़न और उन्हें धमकाने के लिए हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। इससे राष्ट्रीय विकास एवं एकीकरण में कोई बाधा नहीं पहुंचाई जा सकती। इससे नागरिकों के बीच शांति और सामंजस्य भी नष्ट नहीं होना चाहिए। यह टिप्पणी राज्य मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र चौहान ने आरटीआई एक्ट के तहत मिली अपील का निपटारा करते हुए की।
चौहान की आरटीआई अदालत ने ये आदेश नई दिल्ली के बदरपुर बकालाल के आवेदक सूर्य प्रताप की द्वितीय अपील पर जारी किए हैं। यह अपील बीडीओ विकास खंड नगरोटा सूरियां के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। बीडीओ ने आवेदक को पंचायत रिकॉर्ड के निरीक्षण का अवसर भी दिया, लेकिन आवेदक ने आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 7(1) की अनुपालना नहीं करते हुए पूरी सूचना न देने पर पंचायत सचिव कोटला पर पेनल्टी लगाने की मांग की।
आयोग ने प्रथम अपीलीय अथॉरिटी के रूप में बीडीओ विकास खंड नगरोटा सूरियां जिला कांगड़ा के उस आदेश पर मुहर लगा दी, जिसमें बीडीओ ने पंचायत रिकॉर्ड निरीक्षण का मौका दिया था और इसी के साथ अपील का भी निपटारा कर दिया। मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश के मुताबिक कार्यवाही की प्रक्रिया के दौरान यह पाया गया कि आवेदक ने अलग-अलग जनसूचना अधिकारियों के पास कई आरटीआई आवेदन दायर किए।
इनके अनुसार वह ग्रामीण विकास विभाग की हर योजना के बारे में वर्ष 2005 से लेकर 2016 तक के दौरान की सूचनाएं मांग रहा था। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त ने इस बारे मेें अपने फैसले में सीबीएसई बनाम आदित्य बंधोपाध्याय एवं अन्य के एपेक्स कोर्ट में चले मामले का हवाला देते हुए कहा कि इसमें साफ उल्लेख है कि आरटीआई एक्ट का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।