Nai Dunia: New Delhi: Sunday, June 17, 2018.
केंद्र
सरकार ने एक आरटीआइ याचिका के जवाब में इस बात की पुष्टि की है कि वह सूचना के
अधिकार कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है। लेकिन सरकार के कार्मिक व
प्रशिक्षण विभाग ने प्रस्तावित संशोधन बिल का ब्योरा देने से इन्कार कर दिया है।
शनिवार
को आरटीआइ याचिकाकर्ता अंजलि भारद्वाज ने बताया कि उन्हें यह जवाब डीओपीटी विभाग
से इसी महीने मिला है। उन्होंने बताया कि जवाब में कहा गया है कि आरटीआइ अधिनियम, 2005 में संशोधन पर विचार चल रहा है।
आरटीआइ
एक्ट की धारा 8(1)(आइ) के तहत यह प्रक्रिया जिस
मुकाम पर है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा
सकता है। आरटीआइ के आवेदन में जो सवाल पूछे गए थे उसमें से अहम था कि किस तारीख
में आरटीआइ अधिनियम के प्रस्ताव में संशोधन किया जाएगा। किस तारीख को इसे डीओपीटी
विभाग प्रस्ताव को अग्रसारित करेगा और कैबिनेट किस तारीख को इसे संशोधित करेगी।
याचिका
में संशोधन के मसौदे की प्रति,
डीओपीटी की ओर से भेजे
गए प्रस्ताव की प्रति और कैबिनेट के निर्णय की प्रति भी मांगी गई थी। याचिकाकर्ता
भारद्वाज ने कहा कि यूपीए शासनकाल में लाई गई 2014
की पूर्व विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी) के तहत सरकार को सभी विधेयकों और नीतियों
आदि को योजना बनाने के दौरान जनता के समक्ष परामर्श के लिए एक महीने के लिए उजागर
करना चाहिए। लेकिन सरकार इस संशोधन को कतई सार्वजनिक नहीं करना चाहती है।
उन्होंने
इस बारे में कोई भी सूचना नहीं दी है। भारद्वाज ने कहा कि उन्हें मीडिया की
रिपोर्टों से पता चला था कि आरटीआइ के संशोधन की योजना है और एक आरटीआइ संशोधन
विधेयक तैयार हो रहा है। इसलिए आरटीआइ की याचिका दायर करके हमने विधेयक की
विषय-सामग्री के बारे में जानने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर
दिया है।
उन्होंने
कहा कि आरटीआइ अधिनियम में एक धारा 8(1)(आइ) के तहत कैबिनेट के
दस्तावेज नहीं दिखाए जा सकते। लेकिन हमने कैबिनेट के पेपर नहीं मांगे। हम तो यह
पूछ रहे हैं कि डीओपीटी ने क्या दस्तावेज तैयार किए हैं और आरटीआइ का संशोधन किस
दिन होगा।