Saturday, August 19, 2017

आरटीआइ, 2005 से सरकारी कार्यो में आई पारदर्शिता : डीसी

दैनिक जागरण: रूपनगर: Saturday, August 19, 2017.
जिला परिषद परिसर के कमेटी रूम में शुक्रवार को जिले भर के जन सूचना अफसरों सहित सहायक जन सूचना अफसरों तथा जिलाधिकारियों को सूचना अधिकार एक्ट, 2005 के बारे में दो दिवसीय ट्रेनिंग दी गई। डीसी गुरनीत तेज ने दावा किया कि सूचना अधिकार.
एक्ट, 2005 के अस्तित्व में आने से सरकारी दफ्तरों की कार्यप्रणाली में काफी पारदर्शिता आई है। मैगसीपा के क्षेत्रीय दफ्तर पटियाला की ओर से दी जा रहे प्रशिक्षण के दौरान डीसी ने कहा कि आज के दौर में इस एक्ट की बहुत जरूरत है, जिसे केंद्र सरकार ने 2005 के दौरान ही पास कर दिया था। एक्ट की विभिन्न धाराओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के उद्देश्य से सरकार ने जन सूचना अफसर तथा सहायक जन सूचना अफसर तैनात किए हैं, जिनकी इस एक्ट प्रति शंकाओं को दूर करने के लिए ही इस प्रशिक्षण कैंप का लगाया गया। विषय विशेषज्ञ डीसी गुप्ता ने बताया कि इस सिखलाई का मकसद केवल एक्ट के बारे जानकारी देना ही नहीं, बल्कि जो अधिकारी इस एक्ट के तहत काम करते हुए लोगों को सूचनाएं उपलब्ध करवाते हैं, उनकी परेशानियों का समाधान भी करना है। देश में यह एक्ट केवल जम्मू-कश्मीर को छोड़ 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हो गया था। स्वीडन में यह एक्ट 1788 में लागू हुआ था, जबकि आज विश्व के 97 देशों में एक्ट लागू किया जा चुका है।
देश की सुरक्षा में खतरा पैदा करने वाली सूचना नहीं दी जा सकती
गुप्ता ने कहा कि किसी मुलाजिम की निजी ¨जदगी सहित किसी के जीवन को खतरे में डालने संबंधी, व्यापारिक भेदों के बारे व अदालतों में चल रहे केसों के बारे सूचना हासिल नहीं की जा सकती। रॉ, सीबीआइ, बीएसएफ, सीआरपीएफ सहित कोई भी ऐसी सूचना नहीं दी जा सकती जिससे देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो। अगर कोई व्यक्ति सादे पेपर पर अपने पूरे पते, रिहायश के सबूत व निर्धारित फीस के साथ आवेदन करता है तो उसे भी मांगी गई सूचना देना जरूरी है, जबकि दी जाने वाली सूचना हिंदी, पंजाबी या राज्य में प्रचलित भाषा में दी जा सकती है। गरीबी रेखा से नीचे वाला व्यक्ति अगर किसी सूचना की मांग करता है तो उसे सूचना मुफ्त उपलब्ध करवानी होगी। इस मौके पर एएस सोढी तथा कोर्स डायरेक्टर जरनैल ¨सह ने भी एक्ट बारे जानकारियां प्रदान कीं।