Saturday, October 17, 2015

RTI के जवाब समयबद्ध, पारदर्शी और सरल पद्धति वाले होने चाहिए : मोदी

Patrika: New Delhi: Saturday, 17 October 2015.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने सरकारी विभागों से कहा है कि वे आरटीआई आवेदनों के जवाब देते हुए तीन "टी" टाईमलीनेस (समयबद्धता), ट्रांसपेरेंसी (पारदर्शिता) और ट्रबल-फ्री अप्रोच (सरल पद्धति) को ध्यान में रखें क्योंकि इससे शासन में गलतियों को कम करने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को केन्द्रीय सूचना आयोग की 10वीं वर्षगाठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि शासन में और ज्यादा खुलापन होने से नागरिकों को मदद मिलेगी क्योंकि आज के दौर में गोपनीयता की कोई जरूरत नहीं है। समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा कि आरटीआई के जवाब समयबद्ध, पारदर्शी और सरल पद्धति वाले होने चाहिए। इससे गलतियों की आशंका कम करने में मदद मिलेगी।" अरूणा रॉय समेत प्रमुख आरटीआई कार्यकर्ताओं ने इस समारोह का बहिष्कार किया था क्योंकि अधिकारियों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कुछ ही कार्यकर्ताओं को इसमें आमंत्रित किया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सूचना का अधिकार सिर्फ जानने के अधिकार के बारे में नहीं है, यह सवाल पूछने के अधिकार के बारे में भी है क्योंकि इससे लोकतंत्र में विश्वास बढ़ेगा। शासन व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाने में सूचना के अधिकार कानून द्वारा निभाई गई भूमिका का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून सरकारी नीतियों की समीक्षा में भी मदद कर सकता है। मोदी ने कहा कि सारे प्रशासनिक कार्यो को ऑनलाइन किए जाने को सुनिश्चित करने वाली उनकी सरकार की पहल "डिजीटल इंडिया" पूरी तरह से आरटीआई से जुड़ी है।
उन्होंने कहा कि जब चीजें ऑनलाइन हो जाती हैं, तो सभी मुद्दे पारदर्शी हो जाते हैं और आरटीआई का मुख्य उद्देश्य शासन में पारदर्शिता लाना है। अधिकतम (चीजें) ऑनलाइन, अधिकतम पारदर्शिता। प्रशासनिक कार्यो में गोपनीयता बनाकर रखने की कोई जरूरत नहीं है। वे दिन जा चुके हैं।
दस्तावेजों की प्रतियों को राजपत्रित अधिकारियों द्वारा प्रमाणित कराए जाने की प्रक्रिया को समाप्त करने के अपनी सरकार के फैसले पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह फैसला दिखाता है कि सरकार को जनता पर कितना विश्वास है और इस तरह का कदम लोगों का विश्वास सरकार में बढ़ाता है। मोदी ने कहा कि आरटीआई का इस्तेमाल शासन में बदलाव लाने के लिए किया जाना चाहिए न कि किसी विषय विशेष पर पूछे जवाब देने मात्र के लिए।
उन्होंने कहा कि यदि हम आरटीआई को सिर्फ सवालों के जवाब देने तक सीमित कर देते हैं तो शासन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होंगे। हमें आरटीआई के सवालों का विश्लेषण करना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या नीतिगत मामलों में बदलाव किए जाने की जरूरत है? प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन सुनिश्चित करने के लिए हर विभाग को आरटीआई को गंभीरता के साथ लेना चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या उठाए गए मुद्दों पर पर्याप्त गौर किया गया है?
मोदी ने कहा, "लोगों के पास सरकार से सवाल पूछने का अधिकार होना चाहिए। यह लोकतंत्र की नींव है, इससे लोकतंत्र में विश्वास बढ़ेगा। जब चीजें ऑनलाइन हो जाती हैं तो पारदर्शिता स्वत: ही बढ़ जाती है। विश्वास भी बढ़ता है।" उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार कानून का उद्देश्य शासन व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव लाना है।