News18:
Ranchi: Wednesday, 05 August 2015.
झारखंड
के रांची यूनिवर्सिटी का. एक ऐसा सच जिसके सामने आने के बाद से परीक्षार्थी की
बजाए कॉपियों की जांच करने वाले लोगों पर सवाल उठने लगे हैं.
ऐसा
इसलिए क्योंकि ये अंकों का हेरफेर कॉपी जांचने वाले शिक्षकों की लापरवाही की बानगी
मात्र है. दरअसल विवि में पहले स्नातक की कॉपियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी का
मामला सामने आया था और अब नया मामला नर्सिेंग से जुड़ा है.
जहां
इस बार परीक्षार्थी को 32.5 की जगह मात्र आधा अंक यानी .5 (प्वाइंट पांच) दिया गया है. मामला तब सामने आया जब
मात्र आधा अंक पाने से आहत छात्रा ने आरटीआई का सहारा लिया. जब आरटीआई से छात्रा
की आंसर शीट देखी गई तो कई परीक्षार्थियों ने देखा की अंकों के जोड़ में गलती है. इसके बाद उत्तर पुस्तिकाओं की स्क्रूटिनी के लिए
परीक्षार्थियों ने आवेदन दिया. मामला सामने आने के बाद जब एक्सपर्ट द्वारा कापियों
के दिए गए अंकों का जोड़ा गया तो परीक्षार्थियों का दावा बिल्कुल सही निकला.
मालूम
हो कि हाल में ही स्नातक की परीक्षा के विभिन्न विषयों में कई स्टूडेंट्स के अंक
स्क्रूटिनी के बाद बढ़े हैं. जब ऐसे मामले सामने आए तो कई खामियां सामने आईं. इन
खामियों में आंसर सीट में अंकों का जोड़ सही न पाया जाना, कुछ कॉपियों के प्रश्नों के जवाब को सही न जांचा जाना
भी शामिल है.
मामले
को ले कर विश्वविद्यालय की कॉपियों का मूल्यांकन करने वाले लोगों की योग्यता भी
कठघरे में आ खड़ी हो गई है. विश्वविद्यालय स्क्रूटिनी कमेटी के मुताबिक नर्सिंग की
आंसर शीट की स्क्रूटिनी हो रही है.
कई
कॉपियों में परीक्षक और प्रधान परीक्षक की मुहर नहीं है. यह घोर लापरवाही का मामला
है. बढ़े हुए अंक के संबंध में निर्णय परीक्षा कमिटी की बैठक के दौरान ही लिया
जाएगा.