Wednesday, July 08, 2015

राजनीतिक दलों को RTI के दायरे में लाने के सवाल पर केंद्र, चुनाव आयोग जवाब दें : सुप्रीम कोर्ट

नवभारत टाइम्स: नई दिल्ली: Wednesday, 08 July 2015.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राजनीतिक पार्टियों से इस सवाल का जवाब मांगा है कि उन्हें RTI कानून के दायरे में क्यों नहीं लाया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने BJP, कांग्रेस, BSP, CPI और CPM समेत सभी छह राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां खुद को पब्लिक अथॉरिटी घोषित करें ताकि वे RTI कानून के दायरे में आ सकें। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से राजनीतिक दलों को RTI कानून के दायरे में लाने के सवाल पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
एक गैरसरकारी संगठन ADR की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियों को सरकारी मदद मिलती है क्योंकि उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भरने से छूट हासिल है।
भूषण ने बताया कि अगर राजनीतिक पार्टियों को यह छूट हासिल नहीं होती तो उन्हें मिले चंदे पर 35 फीसदी टैक्स लगता। उन्होंने कहा कि इससे साफ होता है कि राजनीतिक पार्टियों को सरकारी पैसा मिल रहा है और इसकी वजह से वह RTI के दायरे में आती हैं।