दैनिक
जागरण: नई
दिल्ली: Tuesday, 21 July 2015.
धर्म
आधारित राजनीति को प्रोत्साहन देने के लिए संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का
इस्तेमाल किया जा रहा है। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने दिल्ली की सड़कों से
अवैध धार्मिक ढांचों और अतिक्रमण को हटाने में टालमटोल पर यह कड़ी टिप्पणी की। साथ
ही दिल्ली पुलिस को पथ निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और अपील दायर करने वाले को एक
माह में अवैध ढांचा हटाने के लिए संभावित समय और कार्यक्रम बताने का निर्देश दिया।
सूचना
आयुक्त श्रीधर आचार्युलु सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुबोध रावत की याचिका पर सुनवाई
कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आयोग दिल्ली प्रशासन, उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को दिल्ली की सड़कों से
अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश और 28 जनवरी 2015 को धार्मिक कमेटी की अनुशंसा
पर काम करने की संस्तुति करता है। जबतक हर धार्मिक अतिक्रमण राजनीतिक दुरुपयोग से
जटिल समस्या बने उसके पहले त्वरित कार्रवाई हो।
याचिकाकर्ता
रावत ने रोहतक रोड से एक अवैध धार्मिक ढांचे को हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी से की गई
कार्रवाई का विस्तृत ब्योरा मांगा था। यह ढांचा यातायात के लिए खतरनाक साबित हो
रहा है। आयुक्त ने कहा कि जो मौजूदा स्थिति है उसमें नागरिकों का जीवन और शांति
यातायात के खतरे के मुद्दे से अधिक महत्वपूर्ण है। दुर्भाग्य से इस स्थिति का लाभ
निहित स्वार्थ वश धर्म और धर्म आधारित राजनीति का इस्तेमाल करके उठाया जा रहा है।
आचार्युलु ने कहा कि उन्हें पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया है कि धार्मिक
समिति ने इस ढांचे को हटाने की संस्तुति की है। उप राज्यपाल ने विधि-व्यवस्था का
आकलन करने का निर्देश दिया है लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग अतिक्रमण हटाने के लिए
दिल्ली पुलिस की सहायता का इंतजार कर रहा है।
संबंधित
पक्षों की सुनने के बाद आचार्युलु ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को दर्शाता
है जिसमें प्रशासन को अवैध निर्माण को हटाने की इजाजत नहीं है। क्योंकि धार्मिक
ढांचा होने के कारण उसमें विधि-व्यवस्था की समस्या पैदा करने का सामर्थ्य है।
अपीलकर्ता को यह समझना होगा कि इसमें बहुत देर हो रही है लेकिन पीडब्ल्यूडी के लिए
यह संभव नहीं है कि पुलिस सहायता के बिना यातायात में बाधक बने ढांचे को ध्वस्त कर
दे।