Patrika:
Lucknow: Monday, 29 June 2015.
आरटीआई
आवेदकों को निर्धारित अवधि 30 दिन में सूचना देना अनिवार्य
है। ऐसी व्यवस्था सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 में की गयी है। आवेदकों को
सूचना न देने, उन्हें डराने धमकाने अथवा परेशान करने वाले जन सूचना
अधिकारियों पर कठोर दण्डात्मक कानूनी कार्रवाई की जायेगी। ऐसे जन सूचना अधिकारियों
के विरूद्ध अर्थदण्ड, विभागीय कार्रवाई जाएगा।
यह
जानकारी सूचना आयोग के राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने दी। उन्होंने बताया कि
आयोग के संज्ञान में ऐसे भी मामले आये हैं कि कतिपय आरटीआई आवेदकों द्वारा जन
सूचना अधिकारियों को ब्लेकमेल किया जाता है। आरटीआई आवेदन को वापस लेने हेतु उनसे
धन की उगाही किये जाने की शिकायते भी जनसूचना अधिकारियों द्वारा आयोग के संज्ञान
में लायी गयी है।
सूचना
आयोग ने ऐसी शिकायतों को गंम्भीरता से लेते हुए सम्बंधित आरटीआई आवेदकों के
विरूद्ध जांच करने और मामला सही पाये जाने पर उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई के
निर्देश दिए हैं।
सूचना
आयुक्त श्री हाफिज उस्मान ने कहा है कि आयोग किसी के प्रति अन्याय नहीं होने देगा।
उन्होंने कहा कि आवेदकों को सर्वप्रथम एक्ट में निर्धारित प्रक्रिया के तहत 10 रूपये का पोस्टल आर्डर लगाकर सम्बंधित विभाग से
सूचना मांगने के लिए विभागीय जनसूचना अधिकारी के यहाॅ आवेदन करना अनिवार्य है।