Tuesday, May 26, 2015

RTI के तहत महिलाएं मांग रहीं ससुराल वालों की संपत्ति की जानकारी

दैनिक भास्कर: भेापाल: Tuesday, 26 May 2015.
पति-पत्नी के विवाद और घरेलू झगड़ों में अब सूचना के अधिकार (आरटीअाई) का भी उपयोग किया जाने लगा है। पिछले दिनों सूचना आयोग में कई ऐसे मामले आए, जिनमें महिलाओं ने पति के वेतन की जानकारी के साथ रिश्तेदारों की संपत्ति की भी जानकारी मांगी। हालांकि आयोग ने ऐसी अपीलों को खारिज कर दिया है। आयोग का कहना है कि आरटीआई के तहत सिर्फ पति के वेतन संबंधी जानकारी ली जा सकती है, लेकिन उसके परिवार की संपत्ति की नहीं।
आयोग में हर साल 60 से 70 अपीलें ऐसी आती हैं, जिसमें पति की सहमति न होने के कारण वेतन संबंधी जानकारी नहीं दी गई। आयोग ने साफ किया है कि विवाद की स्थिति होने पर महिला का हक है कि वह विधिक सहायता लेने के लिए पति की वेतन संबंधी जानकारी ले सकती है। आयोग का कहना है कि पति ने संपत्ति में किसको नाॅमिनी बनाया है, यह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। इसके अलावा पति के व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव डालने वाली जानकारी भी नहीं दी जा सकती है।
राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप का कहना है कि पति व ससुराल वालों को प्रताड़ित करने की मंशा उजागर होने के बाद कई मामलों में अपील खारिज की है। लोक सूचना अधिकारी और अपीलीय अधिकारी को चेतावनी भी जारी की है।
ये जानकारियां मांग रहीं महिलाएं:
वेतन, संपत्ति का ब्यौरा, ससुर द्वारा संपत्ति की वसीयत, ननद को दिए गए उपहार, बैंक बैंलेंस पत्रक, यात्रा में किए गए व्यय, उनके वाउचर, टीएडीए की जानकारी, लोन लेने के लिए दिए गए आवेदन की छायाप्रति, पति द्वारा खरीदे गए प्लाॅट के दस्तावेज की प्रतिलिपि, मकान बनाने में हुए खर्च का स्रोत।
पारिवारिक विवाद में आरटीआई को बना रहीं हथियार:
केस 1
सविता ने पति रवींद्र नामदेव से विवाद के बाद सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी कि पति को कितना वेतन व बोनस मिलता है। पति की सहमति न होने से लोक सूचना अधिकारी और लोक अपीलीय अधिकारी ने जानकारी देने से इंकार कर दिया। इस पर सविता ने सूचना आयोग में अपील की। आयोग ने दोनों पक्षों सुनने के बाद लोक सूचना और अपीलीय अधिकारी को जानकारी उपलब्ध करने के आदेश दिए। आयोग का मानना है कि रवींद्र के वेतन की जानकारी से सविता का हित जुड़ा हुआ है इसलिए जानकारी दी जा सकती है।
केस 2
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में कार्यरत प्रेम नारायण शर्मा की बेटी सौम्या (परिवर्तित नाम) का विवाह हरीश से हुआ था। पारिवारिक विवाद के चलते कुछ समय बाद सौम्या और हरीश का तलाक हो गया। इसके बाद सौम्या ने आरटीआई तहत जानकारी मांगी कि, सास ससुर ने पूंजी निवेश कहां किया? बेटी की शादी के लिए कर्ज कहां से लिया? दोनों के पास कौन से वाहन हैं? पति के नाम कितनी संपत्ति है? आयोग ने आरटीअाई का दुरुपयोग करने पर सौम्या व पिता प्रेम नारायण शर्मा को फटकार लगाते हुए अपील खारिज कर दी।