Amar
Ujala: Dehradun: Saturday, 28 March 2015.
उत्तराखंड
के चंपावत जिले में आरटीआई से मनेरगा में हो रहे बड़े घपले का खुलासा हुआ है।
भले
ही मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार) में श्रम कानूनों के पालन की
बात हो रही हो लेकिन हाल यह है कि नियोक्ता श्रमिकों से छल करने में बाज नहीं आ
रहे हैं। मामला मनरेगा से जुड़ा है।
एक
नियोक्ता एजेंसी ने स्टांप पेपर पर ही श्रमिकों से लिखवा लिया कि भविष्य निधि की
जरूरत नहीं है। आरटीआई में मामले का खुलासा हुआ। इस संबंध में राज्य सूचना आयोग ने
मुख्य सचिव को भी पत्रावली भेजी है। आयोग ने कहा है कि जिलाधिकारियों से इस तरह के
प्रकरणों की जांच सभी जिलों में कराई जा सकती है।
मामला
चंपावत जिले से संबंधित है। चंपावत निवासी राजेंद्र खर्कवाल ने जिला विकास अधिकारी
से मनरेगा के तहत श्रमिकों के भविष्य निधि के भुगतान की जानकारी मांगी थी। जानकारी
नहीं मिली तो मामला राज्य सूचना आयोग तक पहुंचा।
भविष्य
निधि का भुगतान करने में नियमों का पालन नहीं
राज्य
सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा ने जब इस मामले की पत्रावली तलब की तो कुछ और ही
बातें सामने आई।
आयुक्त
के मुताबिक कर्मचारियों को भविष्य निधि का भुगतान करने में नियमों का पालन नहीं
किया गया। इसी वजह से स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है।
अपीलार्थी
का कहना था कि नियोक्ता संस्था देहरादून कॉपरेटिव सोसायटी ने स्टांप पेपर पर लिखवा
लिया कि ईपीएफ नहीं चाहिए। वहीं जिलाधिकारी चंपावत से 18 लाख 24 हजार का भुगतान प्राप्त कर
लिया गया।
मुख्य
सचिव को इस निर्देश के साथ पत्रावली भेजी गई कि आपत्ति का तीन माह के अंदर
प्रशासनिक स्तर पर संज्ञान लेकर जिलाधिकारियों से मामले की जांच कराई जा सकती है।