Patrika:
Jind: Tuesday, 17 March 2015.
सूचना
के अधिकार का अधिकारी किस प्रकार पालन करते हैं, यह
डाक विभाग से मांगी गई एक सूचना से हुआ। डाक विभाग ने मांगी गई एक सूचना में दसवीं
की मार्कशीट की फोटो कॉपी यह कहकर देने से मना कर दी कि वह थर्ड पार्टी है जबकि
हाईकोर्ट के आदेश हैं कि आवेदक को थर्ड पार्टी कहकर टालने की बजाय सूचना आवेदक को
देनी ही होगी।
खबर
के मुताबिक हाल ही में कार्यालय सहायक अधीक्षक डाकघर पूर्वी उप मंडल जींद की तरफ
से डाकघर मलार में ग्रामीण डाक वाहक के खाली पडे पद पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे
थे। यह पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था। इसके लिए 30 नवंबर 2014 तक आवेदन करना था। ग्रामीण
डाक वाहक के लिए शैक्षणिक योग्यता मान्यता प्राप्त बोर्ड से मिडिल या समक्ष
परीक्षा उत्तीर्ण, लेकिन दसवीं पास को वरीयता
देने के नियम बनाए गए। नियमों में साफ लिखा था कि उच्च शैक्षणिक योग्यता वाली
आवेदन कर सकेगा, लेकिन उच्च शैक्षणिक योग्यता
को वरीयता नहीं दी जानी थी। इस पद के लिए मलार निवासी मोहित ने आवेदन किया। बोर्ड
द्वारा जारी की गई मार्कशीट में उसके दसवीं में 500
में से 437 नंबर थे, जो कि 87.40 प्रतिशत बनते थे, लेकिन जैसे ही डाक विभाग ने फरवरी के प्रथम सप्ताह
में अपनी मेरिट सूची जारी की गई तो मोहित के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसमें किसी
अन्य युवक मलार निवासी सुनील कुमार का चयन कर लिया गया। डाक विभाग ने जो मेरिट
सूची जारी है, उसमें सुनील कुमार के 524 नंबर तथा मोहित के 515
नंबर दर्शाए गए हैं। डाक विभाग ने दोनों आवेदनकर्ताओं के दसवीं के उच्च अंक प्राप्त
पांच विषयों के नंबरों को जोड़ने की बजाय सभी छह विषयों के अंकों को जोड़ा गया था।
इसमें मोहित के कुल अंक 515 तथा सुनील के 524 बनते हैं जबकि पांच विषयों के अंक जोड़े जाने पर
मोहित के 437 तथा सुनील के 428 अंक बनते हैं। ऎसे में विभाग ने अपने नियमों को बनाकर
उच्च अंक प्राप्त आवेदनकर्ता को बाहर का रास्ता दिखाने का काम किया।
मोहित
ने इस मामले के सामने आने के बाद डाक विभाग में आरटीआई लगाकर चयनित युवक सुनील की
दसवीं की मार्कशीट की कॉपी मांगी,
जिसे डाक विभाग ने थर्ड
पार्टी कहकर सूचना देने से मना कर दिया जबकि भर्तियों के मामले में पंजाब एवं
हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले सीडब्ल्यूपी नंबर 9427/2008, सीडब्ल्यूपी
नंबर 20566/2008 के अनुसार डाक विभाग को मोहित
को सुनील कुमार की मार्कशीट की कापी आरटीआई से देनी चाहिए थी। इस मामले में मोहित
का कहना है कि वह न्याय लेकर रहेगा। इस मामले में अब उसने हाईकोर्ट के फैसलों को
आधार बनाते हुए प्रथम अपील दायर की है। यदि उसे न्याय नहीं मिला तो वह हाईकोर्ट का
दरवाजा खटखटाएगा।