दैनिक जागरण: पटना: Wednesday, 17 December 2014.
सूचना
के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मजदूरी के संबंध में जानकारी मांगना राजेश को महंगा पड़
गया। इस कारण उसे मजदूरी से हाथ धोना पड़ा। सुधा डेयरी से मजदूरी गंवा चुका राजेश
सोमवार को जनता के दरबार में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पास न्याय मिलने की
उम्मीद से पहुंचा। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री ने 179 लोगों की शिकायतें सुनीं।
राजेश
ने मुख्यमंत्री को बताया कि वह छह साल से सुधा डेयरी में पाउच पैकिंग का काम करता
था। रोजाना 145 रुपये के हिसाब से मजदूरी
मिलती थी। एक दिन आरटीआइ के तहत तय मजदूरी की राशि के बारे में जानकारी मांगी।
इससे नाराज डेयरी के अफसरों ने 19 जुलाई, 2013 को काम से हटा दिया। डेयरी में मेरे प्रवेश करने पर
रोक लगा दी। मुझको हटाने के तत्काल बाद मजदूरी को बढ़ाकर 175 रुपये कर दिया गया। उसने मुख्यमंत्री से कहा कि
जानकारी मांगने की इतनी सजा मिलने के बारे में पता होता तो ऐसी गलती कतई नहीं
करता। मुझको काम पर रखवा दीजिए। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कराने का आश्वासन
दिया।
कैमूर
के राम प्यारे, श्रीकृष्णा, रामाशीष मांझी समेत कई लोग इंदिरा आवास दिलाने की
गुहार लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंचे। श्रीकृष्णा ने कहा कि परिवार में दस लोग
हैं, मगर सिर छुपाने को एक अदद छत
नहीं। जिला में अधिकारियों के पास चक्कर लगाकर हार गया। अपना और परिवार का पेट
भरने के लिए मजदूरी करूं या बाबुओं के पास चक्कर लगाऊं।
जनता
दरबार में पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, ग्रामीण कार्य मंत्री श्रवण कुमार, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री डॉ. महाचन्द्र सिंह, ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र, पंचायती राज मंत्री विनोद यादव आदि उपस्थित थे।