Nai Dunia: New Delhi: Tuesday, November 04, 2014.
लगता
है वह दिन दूर नहीं जब आपको सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी जानकारी सरकार
ऑनलाइन मुहैया कराने लगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों को आरटीआई
जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराने के बारे में फैसला लेने का निर्देश दिया है। शीर्ष
न्यायालय ने इस बारे में फैसला लेने के लिए केंद्र और राज्यों को तीन हफ्ते का समय
दिया है।
मुख्य
न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एके सिकरी की पीठ ने मध्य प्रदेश के वकील
राजीव अग्रवाल की जनहित याचिका (पीआईएल) पर यह निर्देश दिया है। पीआईएल में केंद्र
और राज्य सरकारों को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया कि वे सूचना का अधिकार
कानून के तहत विभागीय जानकारी मांगने के लिए एक केंद्रीयकृत आरटीआई वेबसाइट का
निर्माण करें। साथ ही आरटीआई अर्जी दाखिल करने और उसकी निर्धारित फीस जमा करने की
व्यवस्था भी ऑनलाइन सुनिश्चित किया जाए।
पीआईएल
में शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह आरटीआई अर्जी दाखिल करने की पूरी
प्रक्रिया के बारे में फोन पर सलाह देने के लिए काल सेंटर की स्थापना करने का
निर्देश भी सरकारों को दे। याचिकाकर्ता ने इस बारे में बिहार सरकार द्वारा उठाए गए
कदमों का उल्लेख किया है। याचिका में तर्क दिया गया है कि आरटीआई कानून के
प्रावधानों के तहत कोई भी व्यक्ति सरकारी अधिकारियों से लिखित या इलेक्ट्रानिक
माध्यमों के जरिये जानकारी मांग सकता है।
इसके
बावजूद ज्यादातर राज्यों ने अपने यहां ऑनलाइन आरटीआई दाखिल करने या उसका जवाब देने
की व्यवस्था नहीं की है। पीआईएल का निस्तारण करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, "ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता ने इस बारे में
अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे हैं,
लेकिन उस पर कोई निर्णय
नहीं लिया गया। हम प्रतिवादियों (केंद्र और राज्य सरकारों) को निर्देश देते हैं कि
वे तीन हफ्ते में इस पर फैसला लें।"