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Dunia: Kanpur: Saturday, 23 August 2014.
आम
आदमी को दिए गए आरटीआई के हथियार को अधिकारी कमजोर करने में जुटे हैं। कहीं
घोटालों का राजफाश न हो जाए इसलिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। एक सूचना
के जवाब में तो अखबारों की रद्दी का पार्सल भेज दिया गया है।
मैथा
के इंद्रपाल ने सात मई को ग्राम पंचायत भुजपुरा विकास खंड मैथा से वित्तीय वर्ष 2009 से 2014
के बीच वित्त आयोग से
प्राप्त धनराशि का विवरण और कराए गए सभी कार्यों की छाया प्रतियां मांगी थी। विकास
कार्यों पर कितनी धनराशि खर्च हुई व कितनी आय हुई, इसका
भी विवरण मांगा था।
मैथा
भुजपुरा विकास खंड के पंचायत सचिव ने जन सूचना देने के एवज में उनसे प्रति पेज दो
रुपये के हिसाब से 2340 रुपये की मांग की। उन्होंने
पैसा जमा कर दिया। इसके बाद उन्हे एक पार्सल मिला जो ग्राम विकास अधिकारी, भुजपुरा मैथा की ओर से भेजा गया था। उन्होंने जब
पार्सल खोला तो इसमे पुराने अखबारों की रद्दी भरी थी।
आरटीआई
कार्यकर्ता नीरज गुप्ता ने बताया कि जन सूचना अधिकारी ने सोचा होगा कि पार्सल
खुलने के बाद कोई दावा नहीं कर पाएगा कि इसमे रद्दी थी लेकिन पार्सल का वजन 1.612 किलोग्राम है,
जबकि प्रति पेज दो रुपये
के हिसाब से 2340 रुपये में ए-4 साइज के 1170
पेज उन्हे मिलने चाहिए
थे, जिसका वजन भी 4.50
किग्रा होता है। पार्सल
पर 83 रुपये के डाक टिकट लगे हैं जो
पार्सल के वजन के मुताबिक हैं। ऐसे में साफ तौर पर यह गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है।
सवाल
एक धनराशि अलग-अलगयह भी एक विडंबना है कि एक विभाग से एक ही तरह के दो सवाल पूछने
पर जवाब देने के एवज में धनराशि अलग-अलग मांगी जाती है। इंद्रपाल ने जो सूचना
मांगी उसके लिए ग्राम विकास अधिकारी 2340
रुपये मांगे जबकि मैथा
के ही चंद्रभान सिंह ने यही सूचना मांगी तो उनके 9750 रुपये
मांगे गए।