Inext Live: Agra: Monday, April 28, 2014.
ऐसा
कारनामा सिर्फ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में हो सकता है कि जिन लोगों ने सूचना
के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी उनकी आरटीआई कूड़े के ढेर में धूल फांक रही
हैं. आरटीआई के कागज गल चुके हैं उनमें जाले लग गए हैं. इनमें से कितनों को जवाब
मिले कितनों को नहीं इसका जवाब कूड़े में ही ढू़ंढना होगा.
कूढ़े
के ढेर में आरटीआई
यूनिवर्सिटी
की मेन बिल्डिंग के एक कोने में आरटीआई एप्लीकेशंस के ढेर लगे हुए हैं. हालात ये
हैं कि एक गले हुए कूलर की टंकी के पीछे पड़ी इन आरटीआई एप्लीकेशंस में दीमक तक लग
गई है उनमें जाले लटक रहे हैं.
रजिस्ट्रार
ऑफिस के पीछे ही है कोना
यह
कोना यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार ऑफिस के पीछे है. जहां यह कोना है, वहां
से रास्ता परीक्षा विभाग को निकलता है. इस कोने में सामने एक अलमारी रखी हुई है, जिसमें
तमाम कागज ऐसे बिखरे हुए है जैसे ये कागज बेकार हों. आपको जानकर हैरानी होगी कि
अलमारी बंद नहीं है. कोई भी उसे खोल कर देख सकता है,
इस अलमारी में परीक्षा
समिति के प्वाइंट्स और अन्य जरूरी कागजात रखे हुए हैं.
पहले
भी हो चुका है ऐसा
आरटीआई
को लेकर यूनिवर्सिटी में पहले भी कई मामले हो चुके हैं.पिछले साल ही इस तरह का एक
मामला सामने आया था जिसमें पता चला था कि यूनिवर्सिटी में आने वाली आरटीआई के जवाब
ही नहीं दिए जाते हैं. इससे पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें
पता चला था कि आरटीआई के ढेर यूनिवर्सिटी के एक कोने में लगे हुए हैं. लेकिन उनकी
सुध लेने वाला कोई नहीं है.
अब
भी लगी हैं आरटीआई
हर
विभाग की तरह यूनिवर्सिटी में भी आरटीआई लगाने वालों की कमी नहीं है. यहां अब भी
ब्भ्0 से ज्यादा आरटीआई लगी हुई हैं. लेकिन उनका भी आज तक जवाब
नहीं दिया गया है.
कर्मचारियों
को नहीं पता
इस
बारे में जब यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से
इनकार कर दिया. उनका कहना था कि हमें नहीं पता कि यह कागज यहां कैसे आए हैं. जबकि
आरटीआई का यह ढेर जहां हैं, वहां हर रोज हर कर्मचारी एक
बार तो जरूर निकलता होगा. कर्मचारियों ने कहा कि हम इस बारे में कुछ नहीं बता
पाएंगे. आरटीआई का जवाब तो कुलपति या रजिस्ट्रार ही देंगे.
'मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं आया है. अगर ऐसा है तो मैं
जांच कराऊंगा कि यह कौन से साल की आरटीआई एप्लीकेशंस हैं और इनके जवाब दिए गए हैं
या नहीं.'
- वीके पांडेय, रजिस्ट्रार