Tuesday, April 29, 2014

आरटीआई में खुलासा: व्यापमं में 44 साल में 1000 धांधलियां

दैनिक भास्कर: भोपाल: Tuesday, April 29, 2014.
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की स्थापना के बाद से अब तक एक हजार आर्थिक अनियमितताएं सामने आई हैं। इन पर प्रदेश सरकार के वित्त  विभाग के लोकल फंड ऑडिट ने जो आपत्तियां लगाई थीं, उनका निराकरण मंडल अब तक नहीं कर पाया है।
ये गड़बडिय़ां ओएमआर शीट की छपाई, मेडिकल भत्तों व यातायात के लिए किए गए भुगतान से संबंधित हैं। यह खुलासा हाल ही में तब हुआ जब सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत ऑडिट की रिपोर्ट के दस्तावेज सामने आए।
लोकल फंड ऑडिट ने व्यापमं को जनवरी 2014 में इन गड़बडिय़ों से अवगत करा दिया था। इसके बाद व्यापमं अधिकारियों ने एक महीने का शिविर लगाकर इन आपत्तियों का निराकरण करने की बात कही थी, लेकिन यह शिविर अब तक नहीं लगाया गया है।
आरटीआई के माध्यम से जो दस्तावेज सामने आए हैं, वे वित्तीय वर्ष 2008-09 से लेकर 2010-11 तक के हैं। इस दौरान व्यापमं में पांच चेयरमैन, दो डायरेक्टर व एक परीक्षा नियंत्रक पदस्थ रहे।
जिन वित्तीय वर्षों में सबसे ज्यादा आपत्तियां आई हैं उस दौरान अध्यक्ष का पद रणवीर सिंह, एसके चतुर्वेदी, दिलीप मेहरा, एमके राय  व रंजना चौधरी तथा डायरेक्टर का पद डॉ. एसएस भदौरिया व जयप्रकाश नारायण ने संभाला था। डॉ. भदौरिया परीक्षा नियंत्रक के चार्ज में भी थे।
स्थापना से ही हो रही हैं गड़बडिय़ां:
व्यापमं की स्थापना वर्ष 1970 में हुई थी। तब से अब तक हर साल आर्थिक अनियमितताओं का रिकॉर्ड रहा है। दस्तावेजों के अनुसार व्यापमं के कर्मचारी और अधिकारी लंबे समय तक बीमार ही रहे। इनका मेडिकल बिल इस बात की पुष्टि कर रहा है।
रिपोर्ट में इस बात पर आपत्ति जताई गई है कि कर्मचारियों के लंबे समय तक गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद व्यापमं ने चीफ मेडिकल ऑफिसर से कर्मचारियों के  मेडिकल बिल के भुगतान की रिपोर्ट क्यों नहीं मांगी गई? उधर, व्यापमं के डायरेक्टर तरुण पिथोड़े ने लोकल फंड ऑडिट की आपत्तियों की जानकारी होने से इंकार किया है। उनका कहना है कि जब तक यह मामला उनके सामने नहीं आता, तब तक इस बारे में कुछ कहना संभव नहीं है।
एग्रीमेंट के दस्तावेज गायब, लिफाफों की छपाई में ही लाखों की गड़बडिय़ां:
·       पिछले कुछ वर्षों में बेचे गए आवेदन फार्मों की तुलना में व्यापमं की परीक्षाओं में अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए। इससे मंडल को करीब 4 करोड़ रुपए की क्षति हुई थी।
·        व्यापमं व एमपी ऑनलाइन के बीच हुए करार और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज के गायब रहने से ऑडिट में करीब 32 लाख रुपए की गड़बड़ी पकड़ी गई।
·       वर्ष 2008-09 में संविदा शिक्षकों की परीक्षाओं में लिफाफों की छपाई में 24 लाख की आर्थिक गड़बड़ी उजागर हुई। जबकि वर्ष 2007-08 में पुलिस भर्ती परीक्षा में भी लिफाफों की छपाई में 37 लाख की आर्थिक गड़बड़ी सामने आई है।
·       वर्ष 2008-09 में संविदा शिक्षक की परीक्षाओं में नियम पुस्तिका और ओएमआर फॉर्म की छपाई में 11 लाख रुपए की आर्थिक गड़बड़ी हुई थी।
·       इसी साल परीक्षा केंद्रों को दी गई अग्रिम राशि में चार करोड़ 23 लाख के हिसाब का रिकॉर्ड भी व्यापमं में नहीं मिला है। साथ ही व्यापमं के स्ट्रांग रूम से आंसरशीट और चेक बुक के रिकॉर्ड गायब हैं।
·       व्यापमं की परीक्षाओं के लिए वर्ष 2008 से 2011 के बीच 93 लाख  रुपए परिवहन व्यवस्था पर खर्च किए गए, जिसके मूल दस्तावेज भी ऑडिट के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया।