Monday, July 29, 2013

बच्चों ने पूछा, कितनी सड़कें, कितने गड्ढे हैं शहर में

अमर उजाला: लखनऊ: Monday, July 29, 2013.
यदि आपको नगर निगम अधिकारी-कर्मी सड़कों की संख्या और उन पर कितने गड्ढे हैं, इसकी गिनती करते दिखें तो आश्चर्य न करें। दरअसल अब उन्हें शहर के छोटे उस्तादों के सवालों के जवाब देने होंगे।
बच्चों ने नगर निगम से विकास का हिसाब लेने के लिए कमर कस ली है और कोई उन्हें छोटा समझ टाल मटोल न कर सके, इसके लिए उन्होंने सूचना के अधिकार हथियार का इस्तेमाल किया है।
पहली आरटीआई दाखिल की है महानगर गोल मार्केट में रहने वाले दस वर्षीय करन भसीन ने। उसने वार्ड में विकास कार्यों की हकीकत जानने की इच्छा जताई है।
इसके लिए उसने जन सूचना अधिकार के तहत नगर निगम से पूछा है कि जिस वार्ड में वह रहता है उसमें कितनी सड़कें हैं, उनकी मरम्मत पर कितना पैसा पीछे वित्तीय वर्ष में खर्च किया गया है और सड़कों में गड्ढों की संख्या कितनी है।
करन के अलावा दो और छात्रों क्षितिज टंडन और अयान भोवाल ने आरटीआई दाखिल की है। ये तीनों शहर के एक मिशनरी स्कूल के छात्र हैं।
क्षितिज गढ़ीपीर खां वार्ड में देवीदास मार्ग ठाकुरगंज में रहता है और अयान भोवाल का घर गुरु गोविंद सिंह वार्ड में जेल रोड आनंद नगर में है। दोनों ने नगर निगम से पूछा है कि अप्रैल 2012 में उनके वार्डों में सड़कों की मरम्मत पर कितना पैसा खर्च किया गया और कितना आवंटित किया गया?
इसी के साथ उन्होंने भी सड़क व गड्ढों की संख्या के बारे में पूछा है। करन का कहना है कि आरटीआई लगाने को स्कूल से कहा गया है। उसके क्लास के 300 छात्रों ने अपने-अपने वार्ड से जुड़ीं ऐसी ही जानकारियां मांगी हैं।
इस बाबत जब जन सूचना अधिकारी व अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव ने सुना तो वह हैरान हो गए कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे आरटीआई लगाएंगे। बहरहाल आरटीआई केतहत बच्चों केसवालों से नगर निगम की मुसीबत बढ़ती दिख रही है।
अब उसे सड़कों की संख्या तो बतानी है, उसके साथ उसमें कितने गड्ढे हैं यह भी बताना होगा और इसके लिए अब उसे गड्ढे भी गिनने पड़ेंगे।