Navbharat Times : New Delhi : Thursday, June 6, 2013.
राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के फैसले पर बीजेपी ने यू टर्न ले लिया है। पार्टी ने मंगलवार को पहले तो फैसले का समर्थन किया और कहा कि उसे इससे किसी तरह की दिक्कत नहीं है, लेकिन चंद मिनटों बाद ही यू टर्न लेते हुए फैसले का विरोध किया। बीजेपी ने कहा कि चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को साफ करना चाहिए कि आखिर पार्टियां किसके प्रति जवाबदेह हैं, चुनाव आयोग के या फिर सूचना आयोग के। पार्टी का यह भी कहना है कि इस मामले में सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए ताकि इस बारे में फैसला लिया जा सके।
बीजेपी का यू टर्न : बीजेपी प्रवक्ता कैप्टन अभिमन्यु ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि पार्टी ऐसे किसी नियम, कानून या आदेश के विरोध में नहीं है, जिनसे शुचिता को ताकत मिले और पारदर्शिता मजबूत हो। जब उनसे पूछा गया कि क्या अन्य पार्टियों की तरह बीजेपी भी इस फैसले के खिलाफ है तो उन्होंने फैसले को चुनौती देने से इनकार करते हुए कहा कि बीजेपी शुरू से ही शुचिता का पालन कर रही है। लेकिन पार्टी ने अभिमन्यु के बयान के कुछ ही मिनटों के भीतर यू टर्न ले लिया। पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि चुनाव आयोग और सरकार यह साफ करे कि राजनीतिक पार्टियों की जवाबदेही चुनाव आयोग के प्रति है या फिर सूचना आयोग के प्रति। पार्टी ने कहा कि सीआईसी का यह फैसला लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। इस फैसले से पार्टियों को अपनी बैठकों के चाय पानी का खर्च, राजनीतिक सभाओं पर आने वाला खर्च और पार्टी की आंतरिक बैठकों की जानकारी देनी होगी।
होगा टकराव : नकवी ने कहा कि इस फैसले से चुनाव आयोग और सूचना आयोग के अधिकारों में टकराव होगा और भ्रम की स्थिति पैदा होगी। जब भी चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों से जानकारियां मांगता है तो उसे जानकारियां दी जाती हैं। लेकिन यह मुमकिन नहीं है कि पार्टियां अपने कार्यालयों में सूचना अधिकारी बिठाएं और रोजाना हजारों आवेदनों पर जानकारियां दें। पार्टियां अगर गड़बड़ करती हैं तो जनता उन्हें सीधे ही सजा सुना देती है। ऐसे में सीआईसी के फैसले को लेकर सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।