दैनिक भास्कर: रायपुर: Thursday, May 09, 2013.
सूचना
के अधिकार (आरटीआई) के तहत उत्तर पुस्तिका देने का प्रस्ताव कागजों तक ही सिमटकर
रह गया है। इसे लागू करने में रविवि प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। इसके
पीछे तर्क दिए जा रहे हैं कि व्यावहारिक दिक्कतों के कारण यह व्यवस्था शुरू करने
में दिक्कतें आ रही हैं।
मुख्य
परीक्षा के बाद पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना के लिए हर साल बड़ी संख्या में छात्र
आवेदन करते हैं। इसमें कुछ छात्रों के अंक तो बदलते हैं, लेकिन कई के अंकों में कोई फेरबदल नहीं होता। दूसरी
ओर, दो विषयों में पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना की सुविधा
होने से छात्र यह तय नहीं कर पाते कि किसके लिए आवेदन करें। इसे देखते हुए रविवि
ने सालभर पहले छात्रों को पुनर्मूल्यांकन से पहले उतर पुस्तिका देने की योजना बनाई
थी।
इस
व्यवस्था को आरटीआई के तहत रखा गया था। इसके तहत छात्र आरटीआई के तहत आवेदन कर
उत्तर पुस्तिका देख सकते थे। इस प्रस्ताव पर सहमति के लिए विवि के अधिकारियों के
बीच विचार-विमर्श हुआ। लेकिन अब यह ठंडे बस्ते में ही नजर आ रहा है। ऐसे में इस
सत्र से यह व्यवस्था लागू होनी मुश्किल ही नजर आ रही है। इस संबंध में रविवि के
कुलसचिव केके चंद्राकर का कहना है कि व्यावहारिक दिक्कतों की वजह से यह व्यवस्था
लागू नहीं हो पाई है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
बड़े
चक्कर से मिलती राहत :
हर
साल बड़ी संख्या में छात्र पुनर्मूल्यांकन व पुनर्गणना के लिए आवेदन करते हैं। अभी
पुनर्मूल्यांकन के बाद छात्रों को उतर पुस्तिका दी जाती है। इस प्रक्रिया में लंबा
लगता है। छात्र यह सोचकर पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करते हैं कि शायद इससे उनके
नंबर बढ़ जाएं। शुरुआत में ही उत्तरपुस्तिका मिलने से छात्र यह जान पाते कि
उन्होंने जो लिखा, उसमें कितना अंक मिला और कितना
मिलना चाहिए था। इससे पुनर्मूल्यांकन के झंझट से भी राहत मिलती।