Friday, May 31, 2013

अपनी ही आरटीआइ ने दिला दी उम्रकैद

दैनिक जागरण: नई दिल्ली: Friday, May 31, 2013.
शायद यह अपनी तरह का बिरला मामला होगा जिसमें एक व्यक्ति को उसकी ही आरटीआइ ने उम्रकैद दिला दी। दिल्ली के कन्हैया लाल सेठ ने सूचना अधिकार [आरटीआइ] अर्जी देकर पुलिस से लावारिस लाश का ब्योरा मांगा। पुलिस को शक हुआ और उसने कन्हैया को ही धर लिया। कन्हैया की आरटीआइ से हत्या का बंद हो चुका मामला दोबारा खुला। जांच में पता चला कि हत्याकांड को कन्हैया और उसकी पत्नी ने ही अंजाम दिया था। मुकदमा चला और अब अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
राजधानी स्थित तीस हजारी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने गत 28 मई को कन्हैया लाल और उसकी पत्नी उषा रानी को मां और दो बच्चों समेत तीन लोगों की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई। जनवरी, 2007 में दुष्कर्म के जुर्म में पत्नी सहित तिहाड़ जेल में बंद कन्हैया ने आरटीआइ अर्जी भेजकर पुलिस से एक लावारिस लाश की शिनाख्त का ब्योरा मांगा था। महिला की लावारिस लाश का यह मामला 2004 का कश्मीरी गेट थाने का था। लाश के हाथ में 'वजीरो' गुदा था। कन्हैया की आरटीआइ अर्जी इंस्पेक्टर रणधीर सिंह को मिली। रणधीर मार्च, 2004 से जून, 2004 के बीच कश्मीरी गेट थाने में एडीशनल एसएचओ रह चुके थे। अर्जी देख उन्हें मामला याद आया। उन्होंने कोई सुराग न मिलने पर बंद की जा चुकी लावारिश लाश की फाइल दोबारा खोली और तफ्तीश शुरू की।
कन्हैया ने अर्जी में लिखा था कि वह दुष्कर्म के एक झूठे केस में जेल में बंद है। उसके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत करने वाली युवती ने उस पर उसकी मां और भाइयों को गायब करने का भी आरोप लगाया है। युवती की मां का नाम भी वजीरोबई है, जैसा अखबार में लिखा है कि लावारिस लाश के हाथ में भी वजीरोबाई गुदा है। उसे लावारिस लाश की फोटो और एफआइआर मुहैया कराई जाए ताकि पता चल सके कि यह वही वजीरोबाई तो नहीं जिसके झूठे केस में वह जेल में है।
पुलिस ने तिहाड़ से कन्हैया के केस का ब्योरा लिया। जिसमें पता चला कि कन्हैया दुष्कर्म के मामले में जेल में है। पुलिस ने शिकायतकर्ता लड़की को ढूंढा। लड़की ने थाने आकर लावारिश शव की पहचान अपनी मां के रूप में की। शिनाख्त होने पर पुलिस ने लड़की का बयान दर्ज किया जिससे हत्याकांड का खुलासा हुआ। लड़की ने बताया कि कन्हैया और उसकी पत्नी ने उसकी मां वजीरो को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। कन्हैया ने उसकी मां को एमसीडी में नौकरी दिलाने के लिए एक अर्जी लिखी और उस पर मां के अंगूठे का निशान लिया। कन्हैया उसे, उसकी मां वजीरो और आठ व छह साल के दो छोटे भाइयों को अपने घर ले आया। घर में उषा ने सभी को नशीला पदार्थ मिली चाय पिलाई। जिसे पीने के बाद सभी बेहोश हो गए। होश आया तो उसे पता चला कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। भाई वहां नहीं थे। मां भी दो दिन बाद गायब हो गई। उसे बंधक बनाकर रखा गया। कन्हैया व उसके जानने वाले कई माह तक उससे दुष्कर्म करते रहे। एक दिन पुलिस धोखाधड़ी के आरोप में पति-पत्नी को पकड़ ले गई। तब वह भाग कर बुआ के पास आ गई। जिसके बाद दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया।
लड़की के इस बयान के बाद पुलिस ने कन्हैया और उसकी पत्नी को रिमांड में लेकर पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल लिया। बच्चों और मां की हत्या कर दोनों के शव अलग-अलग जगह फेंके गए थे। इसलिए दोनों मामले अलग-अलग थानों में दर्ज थे। बच्चों की लाश 14 अप्रैल, 2004 और मां की 13 मई 2004 को मिली थी। पुलिस ने जांच में पाया कि बच्चों की लाश के कार्टन पर लगे टेप पर कन्हैया की अंगुलियों के निशान थे। पुलिस ने एमसीडी से वजीरो की नौकरी की अर्जी निकलवाई जिस पर लगा अंगूठे का निशान लाश के अंगूठे के निशान से मेल खाता था।