Sunday, October 31, 2010

आदर्श सोसाइटी: पोल खोली थी RTI कार्यकर्ता ने

30 Oct 2010,नवभारत टाइम्स
मुंबई।। आदर्श को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी घोटाले की पोल 2006 में आरटीआई कार्यकर्ता योगाचार्य आनंदजी ने
खोली थी। आनंद के पास करीब 300 पन्नों के दस्तावेज हैं, जिसमें आवंटियों की सूची, सीआरजेड नियमों का उल्लंघन और इस महा घोटाले को दबाने के लिए एमएमआरडीए द्वारा की गई कोशिशों का काला चिट्ठा दर्ज है।
आनंदजी को इस घोटाले का प्रारंभिक संकेत सेना के एक अधिकारी ने दिया था। इसके बाद उन्होंने बीएमसी, को-ऑपरेटिव सोसायटियों के रजिस्ट्रार, रक्षा मंत्रालय से सूचना के अधिकार कानून के तहत घोटाले की तह में जाने के लिए कई जानकारियां मांगी लेकिन कोई भी विभाग सूचनाएं देने को तैयार नहीं हुआ। एमएमआरडीए से उन्हें बमुश्किल कुछ जानकारियां हाथ लगीं।
आनंदजी ने घोटाले को पोल खोलने के लिए कुल 14 आरटीआई आवेदन दिए। इनमें से 7 आवंटियों की सूची हासिल करने के लिए दिए गए थे। आनंदजी के मुताबिक सोसायटी में प्रारंभ में 31 लोगों को फ्लैट आवंटित होने थे। धीरे धीरे यह संख्या बढ़ती गई और फिलहाल सोसायटी के स्वीकृत सदस्यों की संख्या 103 है।
याचिका सात महीने पहले दायर हुई थी
आदर्श को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में मार्च 2010 में जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें सोसायटी की ऊंचाई पर सवाल उठाते हुए पूर्व बीएमसी कमिश्नर जयराज के खिलाफ शिकायत की गई है।
पीआईएल में नियमों का हवाला देते हुए पूछा गया है कि जब 30 मीटर से अधिक ऊंचाई के लिए सीआरजेड की मंजूरी जरूरी है, तो इमारत की हाइट 104 मीटर करने की अनुमति किस आधार पर दी। याचिकाकर्ता वाई. पी. सिंह ने बताया कि पूर्व बीएमसी कमिश्नर ने अपने बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन किया, क्योंकि वह भी सोसायटी में हिस्सेदार हैं।
आदर्श सोसाइटी के निर्माण के दौरान जिन बातों की अवहेलना की गई, वे हैं-
  1. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने 11 मार्च, 2003 में आदर्श सोसाइटी के निर्माण के लिए किसी भी तरह का अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी) देने से इंकार किया। एमओईएफ ने कहा है कि कोस्टल रेग्युलेशन जोन नोटिफिकेशन, 1991 के तहत सीआरजेड में किसी भी तरह का निर्माण और विकास का फैसला राज्य सरकार को लेना है।
  2. बिल्डिंग निर्माण की योजना एमएमआरडीए द्वारा प्रमाणित की गई। ये भी माना जा रहा है कि बिल्डिंग की ऊंचाई (103.4 मीटर) की मंजूरी हाई राइज कमेटी ने दी थी। इस कमेटी के संचालक तमिलनाडु के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे।
  3. महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के आर्मी हेडक्वार्टर की ओर से आदर्श सोसाइटी को डिफेंस इस्टेट ऑफिसर द्वारा एनओसी दी गई, जिसमें स्पष्ट किया गया कि यह आर्मी के अधीन नहीं है। फिर भी, इसके लिए नेवी से इजाजत लेना जरूरी नहीं समझा गया।
  4. आदर्श सोसाइटी में कारगिल शहीदों के परिजनों को आवास आवंटित किया जाना था, लेकिन आवंटन से जुड़े नियमों की अनदेखी करते हुए दूसरे प्रभावशाली व्यक्तियों या उनके परिवारों को इसका आवंटन हुआ।
  5. सोसाइटी में एफएसआई से जुड़े नियमों का भी उल्लघंन किया गया।
  6. आदर्श सोसाइटी से जुड़े सदस्यों को नामित करते वक्त भी उपयुक्त व्यक्तियों की अनदेखी की गई, जो इसके वास्तविक हकदार थे।