Navbharat Times: National: Thursday, 12th June
2025.
RTI Data on Interns Stipend: मेडिकल कॉलेजों द्वाराइंटर्न्स को वजीफा न दिया जाना, उन डॉक्टर्स के साथ अन्याय हैं, जो अपने करियर को बेहतर बनाने के लिए मेहनत कर रहे और दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हैं। इतना ही नहीं NMC द्वारा भी इस मुद्दे को नजरअंदाज किया गया।
NMC Medical Interns
Stipend Issue: वैसे तो हमारे देश का
स्वास्थ्य महकमा मरीजों को लूटने के नाम पर मशहूर है, लेकिन यहां तो डॉक्टर्स का ही बुरा हाल है। जी हां, यह खबर पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे। लेकिन आपको जानकर हैरानी
होगी कि देशभर में करीब 60 मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं, जहां इंटर्न डॉक्टर फ्री में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं।
इंटर्नशिप करना इनके लिए कंप्लसरी तो हैं, लेकिन इन्हें किसी तरह
का स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है। आरटीआई (RTI) से इस चौंकाने वाली
जानकारी का खुलासा हुआ है।
युवा डॉक्टरों पर इसका बुरा असर
मेडिकल इंटर्न्स को बिना भुगतान किए करवाने पर NMC की चुप्पी और राज्य सरकारों की उदासीनता न केवल इन युवा डॉक्टरों का शोषण है, बल्कि यह उनके भविष्य और मेंटल हेल्थ पर भी असर डालता है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन कॉलेजों में 33 सरकारी और 27 निजी संस्थान शामिल हैं। ये इंटर्न बिना किसी आर्थिक सहायता के अपनी सर्विस दे रहे हैं, जिससे उनके आर्थिक हालात खराब हो रहे हैं।
इस लिस्ट में कर्नाटक सबसे ऊपर
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) द्वारा मेडिकल कॉलेजों द्वारा अपने इंटर्न्स को वजीफा न दिए जाने के मुद्दे को नजरअंदाज किया गया। आरटीआई के अनुसार कर्नाटक में सबसे ज्यादा 10 ऐसे कॉलेज हैं जो स्टाइपेंड नहीं दे रहे, जिनमें 6 सरकारी और 4 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात भी लिस्ट में
इसके बाद गुजरात में 7, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी 7-7 ऐसे संस्थान हैं जो इंटर्न्स को बिना भुगतान के काम करवा रहे हैं। इस लिस्ट में तेलंगाना (5) का भी नाम है। 29 अप्रैल को दिए गए आरटीआई जवाब के अनुसार, डिफॉल्ट करने वाले अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, असम, मध्य प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं।
कुछ कॉलेजों में स्टाइपेंड नाम मात्र का
हालांकि, कुछ कॉलेज मेडिकल स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड दे रहे हैं, लेकिन यह भुगतान 5000 रुपये से भी कम का है। करीब 50 ऐसे कॉलेज हैं, जहां इंटर्न्स को सिर्फ 2000 से 5000 रुपये के बीच भुगतान किया जा रहा है, जो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद नाकाफी है।
NMC की चुप्पी पर भी उठ रहे सवाल
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब यह सामने आता है कि नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। डॉ. केवी बाबू द्वारा दायर आरटीआई से खुलासा हुआ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर पिछले साल से लगातार RTI दाखिल की हैं, लेकिन NMC का जवाब यह रहा कि नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन राज्य सरकारों पर निर्भर करता है।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
28 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद NMC ने 198 मेडिकल कॉलेजों को शो कॉज नोटिस जारी किए थे, जिन्होंने स्टाइपेंड भुगतान का डेटा नहीं दिया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान
मेंटेनेंस ऑफ स्टैंडर्ड्स ऑफ मेडिकल एजुकेशन (MSME) रेगुलेशन 2023 के अनुसार, स्टाइपेंड न देना गंभीर उल्लंघन है। नियमों के तहत NMC ऐसे संस्थानों पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक की मान्यता रद्द करने का अधिकार रखता है।
RTI Data on Interns Stipend: मेडिकल कॉलेजों द्वाराइंटर्न्स को वजीफा न दिया जाना, उन डॉक्टर्स के साथ अन्याय हैं, जो अपने करियर को बेहतर बनाने के लिए मेहनत कर रहे और दिन रात मरीजों की सेवा में लगे हैं। इतना ही नहीं NMC द्वारा भी इस मुद्दे को नजरअंदाज किया गया।
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मेडिकल कॉलेज इंटर्न्स को नहीं दे रहे स्टाइपेंड (फोटो- Gemini) (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम) |
युवा डॉक्टरों पर इसका बुरा असर
मेडिकल इंटर्न्स को बिना भुगतान किए करवाने पर NMC की चुप्पी और राज्य सरकारों की उदासीनता न केवल इन युवा डॉक्टरों का शोषण है, बल्कि यह उनके भविष्य और मेंटल हेल्थ पर भी असर डालता है। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इन कॉलेजों में 33 सरकारी और 27 निजी संस्थान शामिल हैं। ये इंटर्न बिना किसी आर्थिक सहायता के अपनी सर्विस दे रहे हैं, जिससे उनके आर्थिक हालात खराब हो रहे हैं।
इस लिस्ट में कर्नाटक सबसे ऊपर
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) द्वारा मेडिकल कॉलेजों द्वारा अपने इंटर्न्स को वजीफा न दिए जाने के मुद्दे को नजरअंदाज किया गया। आरटीआई के अनुसार कर्नाटक में सबसे ज्यादा 10 ऐसे कॉलेज हैं जो स्टाइपेंड नहीं दे रहे, जिनमें 6 सरकारी और 4 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात भी लिस्ट में
इसके बाद गुजरात में 7, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी 7-7 ऐसे संस्थान हैं जो इंटर्न्स को बिना भुगतान के काम करवा रहे हैं। इस लिस्ट में तेलंगाना (5) का भी नाम है। 29 अप्रैल को दिए गए आरटीआई जवाब के अनुसार, डिफॉल्ट करने वाले अन्य राज्यों में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, असम, मध्य प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं।
कुछ कॉलेजों में स्टाइपेंड नाम मात्र का
हालांकि, कुछ कॉलेज मेडिकल स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड दे रहे हैं, लेकिन यह भुगतान 5000 रुपये से भी कम का है। करीब 50 ऐसे कॉलेज हैं, जहां इंटर्न्स को सिर्फ 2000 से 5000 रुपये के बीच भुगतान किया जा रहा है, जो उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद नाकाफी है।
NMC की चुप्पी पर भी उठ रहे सवाल
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है, जब यह सामने आता है कि नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) ने अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। डॉ. केवी बाबू द्वारा दायर आरटीआई से खुलासा हुआ है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को लेकर पिछले साल से लगातार RTI दाखिल की हैं, लेकिन NMC का जवाब यह रहा कि नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन इसका क्रियान्वयन राज्य सरकारों पर निर्भर करता है।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
28 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद NMC ने 198 मेडिकल कॉलेजों को शो कॉज नोटिस जारी किए थे, जिन्होंने स्टाइपेंड भुगतान का डेटा नहीं दिया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बाद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान
मेंटेनेंस ऑफ स्टैंडर्ड्स ऑफ मेडिकल एजुकेशन (MSME) रेगुलेशन 2023 के अनुसार, स्टाइपेंड न देना गंभीर उल्लंघन है। नियमों के तहत NMC ऐसे संस्थानों पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक की मान्यता रद्द करने का अधिकार रखता है।