Navbharat Times: Ahmedabad: Monday, 27 October 2025.
गुजरात के बनासकांठा में एक सनसनीखेज हत्या का खुलासा हुआ है। दिव्यांग आरटीआई कार्यकर्ता रसिक परमार की 20 लाख रुपये के ठेके पर हत्या कर दी गई। आरोप है कि बिल्डरों ने अपने घोटालों को उजागर करने वाले परमार की हत्या करवाई थी। पुलिस ने एक बिल्डर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
गुजरात के बनासकांठा में नहर में फेंका गया एक दिव्यांग आरटीआई एक्टिविस्ट का शव, 20 लाख रुपये की कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला निकला है। आरोप है कि कुछ बिल्डरों ने अपने घोटालों को उजागर करने वाले एक्टिविस्ट रसिक परमार की हत्या करवाई थी। थराद पुलिस ने शनिवार को एक बिल्डर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी बनासकांठा के रहने वाले हैं। रसिक परमार अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (AMC) के साथ काम करने वाले बिल्डरों के कई घोटालों का पर्दाफाश कर चुके थे।
पुलिस के अनुसार, आरोपी कलपेश छाछणी ने हत्यारों को 20 लाख रुपये दिए थे। परमार ने AMC से जुड़े बिल्डरों के घोटालों की पोल खोली थी। हत्या का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस की आठ टीमों ने जांच शुरू की। तकनीकी निगरानी और सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस को एक आरोपी का सुराग मिला। पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
12 अक्टूबर को, छाछणी ने परमार को किसी बहाने से पाटन जिले के सामी ले गया। वहां बाकी आरोपी इंतजार कर रहे थे। उन्होंने रसिक परमार का गला घोंट दिया और शव को नहर में फेंक दिया। पुलिस ने बताया कि राजू कराटे और कमलेश सोलंकी नाम के दो और लोग इस मामले में शामिल हैं, जो बिल्डरों की अनियमितताओं से जुड़े थे। उन्हें भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
दिवंगत रसिक परमार के भतीजे द्वारा दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, 55 वर्षीय परमार कुछ साल पहले बिजली का झटका लगने से दोनों हाथों और एक पैर से दिव्यांग हो गए थे। अपनी इस शारीरिक अक्षमता के बावजूद, वे सामाजिक और नागरिक मुद्दों पर सक्रिय थे। उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले एक योद्धा के तौर पर स्थानीय स्तर पर जाना जाता था।
FIR में यह भी बताया गया है कि परमार ने PPP योजना के तहत हुए झुग्गी पुनर्विकास प्रोजेक्ट में कथित अनियमितताओं का खुलासा किया था। इस प्रोजेक्ट में 1,449 घर और 130 दुकानें बननी थीं। उन्होंने फर्जी लाभार्थी दस्तावेजों और स्थानीय बिल्डरों की अन्य गड़बड़ियों को लेकर AMC, गांधीनगर कलेक्टर कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और हाई कोर्ट में बार-बार शिकायतें की थीं।
शिकायतकर्ता ने बताया कि परमार को कराटे और सोलंकी से बार-बार धमकियां मिल रही थीं। थराद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत हत्या और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है। यह घटना बताती है कि कैसे सच सामने लाने वाले लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है, खासकर जब वे शक्तिशाली लोगों के काले कारनामों का पर्दाफाश करते हैं। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आने वाली मुश्किलों को भी उजागर करता है। पुलिस अब बाकी आरोपियों की तलाश में जुटी है ताकि इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सके।
गुजरात के बनासकांठा में एक सनसनीखेज हत्या का खुलासा हुआ है। दिव्यांग आरटीआई कार्यकर्ता रसिक परमार की 20 लाख रुपये के ठेके पर हत्या कर दी गई। आरोप है कि बिल्डरों ने अपने घोटालों को उजागर करने वाले परमार की हत्या करवाई थी। पुलिस ने एक बिल्डर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
गुजरात के बनासकांठा में नहर में फेंका गया एक दिव्यांग आरटीआई एक्टिविस्ट का शव, 20 लाख रुपये की कॉन्ट्रैक्ट किलिंग का मामला निकला है। आरोप है कि कुछ बिल्डरों ने अपने घोटालों को उजागर करने वाले एक्टिविस्ट रसिक परमार की हत्या करवाई थी। थराद पुलिस ने शनिवार को एक बिल्डर समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। ये सभी बनासकांठा के रहने वाले हैं। रसिक परमार अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (AMC) के साथ काम करने वाले बिल्डरों के कई घोटालों का पर्दाफाश कर चुके थे।
पुलिस के अनुसार, आरोपी कलपेश छाछणी ने हत्यारों को 20 लाख रुपये दिए थे। परमार ने AMC से जुड़े बिल्डरों के घोटालों की पोल खोली थी। हत्या का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस की आठ टीमों ने जांच शुरू की। तकनीकी निगरानी और सीसीटीवी फुटेज की मदद से पुलिस को एक आरोपी का सुराग मिला। पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
12 अक्टूबर को, छाछणी ने परमार को किसी बहाने से पाटन जिले के सामी ले गया। वहां बाकी आरोपी इंतजार कर रहे थे। उन्होंने रसिक परमार का गला घोंट दिया और शव को नहर में फेंक दिया। पुलिस ने बताया कि राजू कराटे और कमलेश सोलंकी नाम के दो और लोग इस मामले में शामिल हैं, जो बिल्डरों की अनियमितताओं से जुड़े थे। उन्हें भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
दिवंगत रसिक परमार के भतीजे द्वारा दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, 55 वर्षीय परमार कुछ साल पहले बिजली का झटका लगने से दोनों हाथों और एक पैर से दिव्यांग हो गए थे। अपनी इस शारीरिक अक्षमता के बावजूद, वे सामाजिक और नागरिक मुद्दों पर सक्रिय थे। उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले एक योद्धा के तौर पर स्थानीय स्तर पर जाना जाता था।
FIR में यह भी बताया गया है कि परमार ने PPP योजना के तहत हुए झुग्गी पुनर्विकास प्रोजेक्ट में कथित अनियमितताओं का खुलासा किया था। इस प्रोजेक्ट में 1,449 घर और 130 दुकानें बननी थीं। उन्होंने फर्जी लाभार्थी दस्तावेजों और स्थानीय बिल्डरों की अन्य गड़बड़ियों को लेकर AMC, गांधीनगर कलेक्टर कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय और हाई कोर्ट में बार-बार शिकायतें की थीं।
शिकायतकर्ता ने बताया कि परमार को कराटे और सोलंकी से बार-बार धमकियां मिल रही थीं। थराद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत हत्या और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है। यह घटना बताती है कि कैसे सच सामने लाने वाले लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ सकती है, खासकर जब वे शक्तिशाली लोगों के काले कारनामों का पर्दाफाश करते हैं। यह मामला भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आने वाली मुश्किलों को भी उजागर करता है। पुलिस अब बाकी आरोपियों की तलाश में जुटी है ताकि इस पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो सके।














