नवभारत
टाइम्स: गुड़गांव: Thursday, 27 November 2014.
राजीव
नगर स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर पर मरीज के परिजनों ने लापरवाही का आरोप
लगाया है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिले आरटीआई के जवाब में डॉक्टर द्वारा ईलाज
में लापरवाही बरते जाने का खुलासा हुआ है।
परिजनों
ने इसकी शिकायत पुलिस को दी थी,
जिसके बाद पुलिस ने इस
पर सीएमओ को पत्रा लिख मेडिकल ओपीनियन मांगा। इसमें सीएमओ की ओर से गठित की गई टीम
में शामिल डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सुनीता राठी, सर्जन
डॉ. जागीर नैन ने जांच में पाया कि डॉक्टर द्वारा इलाज के दौरान जो ट्रीटमेंट किए
जाने का निर्णय लिया गया, उसमें खामियां थी। परिजन अब
पुलिस से डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
गुड़गांव
निवासी 33 वर्षीय भीम शर्मा का 5 फरवरी 2011 को मुरादाबाद में एक्सीडेंट
हो गया था। उन्हें तुरंत ही मुरादाबाद के दीन दयाल उपाध्याय गर्वमेंट हॉस्पिटल ले
जाया गया। यहां से उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया। इस पर परिजन उन्हें गुड़गांव
के राजीव नगर स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले आए। यहां पर डॉक्टर उमेश गुप्ता ने
उनका उपचार किया। डॉक्टर ने उनकी आंख के पास स्टीचिस लगाने के साथ उन्हें आईसीयू
में एडमिट कर लिया व पांच यूनिट ब्लड भी चढ़ाया, लेकिन
ऑप्रेशन की जरूरत नहीं समझी। भीम को 11 फरवरी 2011 को डिस्चार्ज किया गया।
पीड़ित
ने आरोप लगाया कि इस दौरान उनके पेट में दर्द होता रहा और उनकी हालत बिगड़ने लगी।
इसके बाद 19 फरवरी 2011 को परिजन उन्हें दोबारा उसकी हॉस्पिटल ले गए। इसके
बाद 27 फरवरी तक वे यहां एडमिट रहे।
इस दौरान भी डॉक्टर उमेश गुप्ता ने उनका इलाज किया। इस दौरान उन्हें दो यूनिट ब्लड
व 3 यूनिट प्लाजमा चढ़ाया गया, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। 6 मार्च को परिजन उन्हें दूसरे प्राइवेट हॉस्पिटल में
ले गए।
जहां
डॉक्टरों ने चेकअप कर पाया कि पीड़ित की आंतों में घाव व इंफेक्शन काफी ज्यादा बढ़
गया है। यहां पर डॉक्टरों ने उन्हें किसी बड़े हॉस्पिटल ले जाकर तुरंत ऑपरेशन
कराने की सलाह दी। इस पर परिजन 7 मार्च 2011 को पीड़ित को आर्टिमिस हॉस्पिटल ले गए, जहां 8 मार्च को उनका ऑपरेशन किया
गया।
यहां
डॉक्टरों ने बताया कि पीड़ित को लाने में काफी देर कर दी गई, जिसकी वजह से उनकी आंतें सड़ गई हैं। ऑपरेशन करने
वाले डॉक्टरों ने परिजनों को दूसरे ऑपरेशन का सुझाव दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने
दिल्ली के दूसरे हॉस्पिटल में जॉइन कर लिया। इस वजह से परिजनों ने 17 मार्च को भीम को यहां से डिस्चार्ज करा लिया।
परिजन
इन्हीं डॉक्टरों से भीम का इलाज कराना चाहते थे। इसके बाद दो बार पीड़ित की हालत
खराब होने की वजह से उन्हें आर्टिमिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों
द्वारा ऑपरेशन की सलाह पर पीड़ित को 11 अप्रैल को डिस्चार्ज करवाकर
परिजन दिल्ली ले गए। यहां उन्हीं डॉक्टरों के पास लाया गया, जिन्होंने भीम का ऑपरेशन किया था। परिजनों के अनुसार
दूसरे ऑप्रेशन के बाद भी पीड़ित की हालत खराब रहती है।
अभी
तक उनका इलाज दिल्ली के एक हॉस्पिटल में चल रहा है। पीड़ित को हर चार माह में 6 यूनिट ब्लड चढ़वाना पड़ता है। इस वजह से पीड़ित को
सप्ताह भर तक एडमिट रखना पड़ता है।
पीड़ित
के परिजनों ने अब डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट को आधार बनाकर संबंधित डॉक्टर के खिलाफ
एफआईआर करने के लिए सेक्टर-14
पुलिस चौकी में लिखित
शिकायत दी है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।